मैग्सेसे विजेता अंशु गुप्ता ने छात्रों को पढ़ाया उद्यमिता का पाठ

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नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट कुरिकुलम के तहत गुरुवार को एनजीओ गूंज के संस्थापक अंशु गुप्ता ने बच्चों से संवाद किया। मैग्सेसे पुरस्कार विजेता अंशु गुप्ता ने बच्चों को अपने सपने पूरा करने के लिए लगातार काम करते रहने की सलाह दी।

उन्होंने कहा, नींद वाले सपने अलग होते हैं, लेकिन आपको सफल होना है तो जागते हुए सपने देखने होंगे, क्योंकि उस पर आपको काम करना है। आपको कहीं कचरा गिरा हुआ दिखे या पुराने कपड़ों का ढेर हो, तो उसे समस्या नहीं बल्कि अवसर समझें और समाधान ढूंढें। आज हमलोग हर साल 6000 टन पुराना मैटेरियल हैंडिल कर रहे हैं। इनमें पुराने कपड़े, चादरें, फर्नीचर जैसी चीजें होती हैं, जिन्हें हमने नई मुद्रा में बदल दिया है।


अंशु ने कहा, सेकेंड हैंड मैटेरियल को इतनी बड़ी करेंसी में कन्वर्ट करने में मुझे गांवों से मिली शिक्षा काफी काम आई। हमें सिर्फ किताबों तक सीमित रहने के बजाय समाज से जुड़ने का प्रयास करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि वह 1990 में जनसंचार की पढ़ाई के लिए दिल्ली आए। उस दौरान उत्तरकाशी में भूकंप आने पर वहां जाकर पीड़ितों की मदद की। उन्होंने कहा, उस दौरान मेरी गांव वालों को लेकर धारणा बदली। इसके बाद मैंने समाज में लोगों की मदद का बीड़ा उठा लिया। गूंज जैसी संस्था बनने में इसकी बड़ी भूमिका रही।

गुप्ता ने बच्चों से संवाद करते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की इस बात पर सहमति जताई कि अपने काम में आनंद आना सबसे जरूरी है। उन्होंने कहा, हम काफी दुखी लोगों की पीड़ा से जुड़ते हैं और लोगों के दुख से हम काफी विचलित भी होते हैं। इसके बावजूद यह सोचकर चैन की नींद सोते हैं कि आज कुछ अच्छा किया।


उन्होंने कहा, हमें दूसरों की पीड़ा से जुड़ने का कीड़ा लग गया है और सबकी मदद करने में ही हमें आनंद आता है। इस संदर्भ में गुप्ता ने अपनी एक कविता भी सुनाई- बस चढ़ा ही रहा था एक और चादर मजार पर, कि नजर बाहर कांपते फकीर पर पड़ गई।

गुप्ता ने दिल्ली की शिक्षा क्रांति की सराहना करते हुए सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा को जरूरी बताया। उन्होंने कहा, दिल्ली में हुए काम के कारण ही जब मुझे बच्चों से इस बातचीत का आमंत्रण मिला तो काफी अच्छा लगा। दिल्ली के सरकारी स्कूलों का रिजल्ट देखकर काफी गर्व होता है।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, अब तक हमने बड़े उद्यमियों से संवाद किया है। लेकिन आज हमारे बच्चे उस व्यक्ति से संवाद कर रहे हैं जो लाखों लोगों की जिंदगी में बदलाव ला रहे हैं। अपने लिए तो सभी लोग काम करते हैं, लेकिन अंशु गुप्ता ने दूसरों की पीड़ा समझकर उनके लिए अपना जीवन समर्पित किया है। इसीलिए उन्हें दुनिया का प्रतिष्ठित रेमन मैगसेसे सम्मान मिला, जिसे एशियाई देशों का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है।

सिसोदिया ने इस संवाद को बच्चों के लिए काफी उपयोगी बताया। उन्होंने अंशु गुप्ता की तुलना फिल्म थ्री इडियट के रैंचो (आमिर खान) से की। सिसोदिया ने कहा कि आमिर खान ने रैंचो के रूप में शिक्षा के उपयोग का एक अलग रूप प्रस्तुत किया है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एसजीके

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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