महाराष्ट्र में सरकार के खिलाफ मेडिकल छात्रों का प्रदर्शन

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 मुंबई, 14 मई (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय और बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2019 के लिए सामाजिक एवं आर्थिक पिछड़ा वर्गो (एसईबीसी) की उपयुक्तता (एप्लिकेबिलिटी) को खारिज करने के बाद महाराष्ट्र में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में दाखिला ले चुके करीब 250 मेडिकल के छात्र मुश्किल में हैं।

 छात्र समूह के प्रवक्ता कृष्ण किरकरे ने कहा कि वह पिछले एक सप्ताह से प्रदर्शन करते हुए महाराष्ट्र सरकार से इस मामले में दखल की मांग कर रहे हैं ताकि उनका एक साल बर्बाद न हो।


किरकरे ने आईएएनएस से कहा, “सरकार ने कल (13 मई को) हमसे वादा किया था कि वे हमारी सीटों को आरक्षित करने के लिए एक अध्यादेश लाएंगे, लेकिन लगभग एक दिन बाद भी कुछ नहीं हुआ है.. हम उनकी राजनीति में बलि का बकरा बन गए हैं।”

स्नातकोत्तर स्तर के कोर्स दो मई को शुरू होने थे, लेकिन पांच मई को उन्हें बताया गया कि उनका दाखिला रद्द कर दिया गया है। हालांकि, उन्होंने पूरी फीस जमा की थी।

किरकरे ने बताया कि अखिल भारतीय कोटा की जगह उन्हें मराठा कोटा (एसईबीसी) के तहत दाखिला मिला, लेकिन एसईबीसी कोटा को इस साल के लिए खारिज कर दिया गया है। सबसे बड़ी परेशानी यह है कि सभी जगह प्रवेश परीक्षा समाप्त हो चुकी है और छात्रों को अपना एक साल खराब करना होगा।


उन्होंने कहा, “राज्य सरकार ने कई आश्वासन दिए हैं, लेकिन जीआर या आदेश के जरिए अभी तक कुछ भी ठोस नहीं हुआ है.. हमें अपने आंदोलन को तेज करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।”

एक अन्य छात्र शिवाजी भोसले ने कहा कि एसईबीसी के तहत प्रवेश लेने में छात्रों की गलती नहीं थी, लेकिन अब वे इसका खामियाजा भुगत रहे हैं।

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने चार मई को कहा था कि राज्य की तरफ से आठ मार्च को सामाजिक एवं आर्थिक पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को दिया गया 16 प्रतिशत आरक्षण इस साल के स्नातकोत्तर मेडिकल एवं डेंटल कोर्स में प्रवेश के संबंध में लागू नहीं होगा।

इसके बाद, राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया और उच्च न्यायालय के फैसल पर रोक लगाने की मांग की ताकि उन्हें अपील करने का समय मिले। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहते हुए उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा कि प्रवेश परीक्षा की प्रक्रिया शुरू होने के बाद अधिनियम लागू किया गया और एसईबीसी अधिनियम का अनुच्छे 16(2) ऐसी स्थिती में आरक्षण को खारिज करता है।

राज्य सरकार ने तर्क दिया कि एसईबीसी के तहत प्रवेश पाने वाले इन छात्रों को अखिल भारतीय कोटे के तहत प्रवेश दिया गया था जिसे उन्होंने रद्द कर दिया था और इसलिए उनका एक वर्ष खराब हो जाएगा।

सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवेश की समय सीमा 18 मई से 25 मई तक बढ़ा दी है, लेकिन छात्रों का दावा है कि इतना समय पर्याप्त नहीं होगा।

इन घटनाक्रमों के बाद महाराष्ट्र कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) सेल ने एसईबीसी कोटे के तहत दिए गए प्रवेश रद्द करने के आदेश जारी किए थे।

पिछले साल 30 नवंबर को महाराष्ट्र सरकार ने एसईबीसी के तहत मराठा समुदाय के लिए नौकरियों और शिक्षा में 16 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव दिया था।

राज्य सरकार पर पहले से उचित कानूनी सावधानी न बरतने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शनकारी छात्रों ने रविवार को मुख्यमंत्री के बंगले की घेराबंदी करने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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