महिला के साथ मारपीट करने वाले अकरम बने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत

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 इस्लामाबाद, 1 अक्टूबर (आईएएनएस)| भारत के खिलाफ तीखी बयानबाजी करने वाले वरिष्ठ पाकिस्तानी राजनयिक मुनीर अकरम (74) को संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के नए राजदूत के तौर पर नियुक्त किया गया है।

 अकरम का विवादों से पुराना नाता रहा है और उन पर एक महिला के साथ मारपीट करने का आरोप है। जनवरी 2003 में अकरम संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के शीर्ष राजदूत के रूप में कार्यरत थे। इस दौरान उनकी 35 वर्षीय लिव-इन प्रेमिका मरिजाना मिहिक ने राजदूत के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज कराया था।


मरिजाना ने मैनहटन के 47 ईस्ट 92वीं स्ट्रीट स्थित अकरम के घर पर 10 दिसंबर 2002 की देर रात 1:36 बजे न्यूयॉर्क पुलिस को बुलाया था। मरिजाना ने पुलिस से शिकायत की कि अकरम ने उनके साथ मारपीट की है।

मरिजाना ने पुलिस को बताया कि अकरम (जिन्हें उन्होंने पहले अपने पति के तौर पर बताया) ने उनका सिर एक दीवार पर दे मारा। उनकी बांह को भी चोटिल किया और यह कि इससे पहले भी उनके साथ मारपीट की जा चुकी है।

उस समय संयुक्त राष्ट्र के मुद्दों पर सिटी कमिश्नर रहे मरजोरी टिवेन ने अमेरिकी मिशन को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि अकरम को मिली राजनयिक छूट को हटा दिया जाए ताकि वे उनके खिलाफ मुकदमा चला सकें।


पुलिस के फ्लैट में आने के बाद मरिजाना ने कहा कि अकरम उनके ब्वायफ्रेंड हैं और उनके साथ बहस होने के बाद उन्होंने वहां से जाने की कोशिश की थी।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने पुलिस प्रवक्ता लेफ्टिनेंट ब्रायन बर्क के हवाले से कहा था, “अकरम ने मरिजाना को जाने से रोका और पकड़ लिया, जिसके बाद वह गिर गईं।” घटनास्थल पर मौजूद पुलिस अधिकारियों ने बताया था कि मरिजाना के सिर पर चोट के निशान थे।

अकरम उस समय 57 वर्ष के थे। जब पुलिस पहुंची तो वह घर पर ही मौजूद थे।

पाकिस्तानी मिशन के एक प्रवक्ता ने बाद में पुलिस को बताया कि अकरम और उनकी दोस्त में सुलह हो गई है।

अकरम ने जनवरी 2003 में द न्यूयार्क पोस्ट को बताया, “मेरी सरकार ने मुझे अपने देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए यहां भेजा है। मैं यहां रहने के लिए आया हूं और मेरी सरकार चाहती है कि मैं रहूं।”

इस मामले की मीडिया रिपोर्ट सामने आने के बाद महिला समूहों की ओर से अकरम के इस्तीफे की मांग की गई थी। दर्जनों महिला समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक संस्था वूमन एक्शन फोरम ने मांग की थी कि एक महिला को पीटने के आरोपी को पद पर बने रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। पाकिस्तान के धार्मिक समूह भी उन्हें वापस बुलाना चाहते थे। उन्होंने कहा था कि एक राजदूत, जो एक महिला के साथ रह रहा है और वह उससे शादी भी नहीं करता है तो वह एक मुस्लिम राष्ट्र का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है।

जिला अटॉर्नी के कार्यालय ने हालांकि चार फरवरी 2003 को मामले की जांच छोड़ दी थी।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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