मोदी के बजाए अमित शाह बने दिल्ली चुनाव का चेहरा!

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नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)| भाजपा के लिए दिल्ली विधानसभा चुनाव साख का सवाल बन गया है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद यह पहला मौका है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी का चेहरा नहीं हैं। ऐसा लगता है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बनाम गृहमंत्री अमित शाह हो चुका है। खास बात यह है कि यह है कि इस समय शाह पार्टी अध्यक्ष नहीं हैं। दरअसल, 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद अध्यक्ष बनाए गए शाह के कार्यकाल में पार्टी ने 35 राज्यों में विधानसभा चुनाव का सामना किया। इनमें से कुछ राज्यों में मुख्यमंत्री ही पार्टी का चेहरा रहे, जबकि ज्यादातर राज्यों में पार्टी ने प्रधानमंत्री मोदी को ही अपना चेहरा बनाया। इनमें मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में पार्टी ने मुख्यमंत्री को ही अपना चेहरा बनाया, जबकि कर्नाटक में बी. एस. येदियुरप्पा तो दिल्ली में किरण बेदी पर दांव लगाया। लेकिन इनके अलावा बाकी के राज्यों में पार्टी मोदी को चेहरा बनाकर ही चुनाव लड़ी।

लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में पार्टी एक बार फिर से केंद्रीय योजनाओं और प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर ही चुनाव मैदान में उतरी थी।


राष्ट्रीय राजधानी में स्थानीय नेतृत्व की कोई खास लोकप्रिय नहीं है, इसलिए अध्यक्ष पद से हटने के बावजूद शाह ने दिल्ली चुनाव की कमान अपने कंधे पर ले ली। इस दौरान शाह ने शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ चल रहे आंदोलन के मद्देनजर चुनाव प्रचार को राष्ट्रवाद पर केंद्रित कर दिया है। बीते साढ़े पांच साल में यह पहली बार है, जब विपक्ष के निशाने पर मोदी कम और शाह ज्यादा हैं।

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 निरस्त करने और नागरिकता संशोधन विधेयक को राज्यसभा में बहुमत न होते हुए भी पारित करा लेने के बाद शाह पार्टी में हिंदुत्व का एक अग्रणी चेहरा बनकर सामने आए हैं।

अब अगर शाह दिल्ली चुनाव जिताने में सफल रहते हैं तो पार्टी को हर चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी को बतौर चेहरा पेश करने की मजबूरी से निजात मिल जाएगी। आखिर अमित शाह ही दिल्ली में अघोषित रूप से चेहरा क्यों बनें, इस सवाल पर दिल्ली भाजपा का मीडिया प्रबंधन देख रहे मनोज यादव ने कहा, “भाजपा का चेहरा नरेंद्र भाई मोदी हैं। दिल्ली में तो पार्टी मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ रही है, लेकिन इस चुनाव के मुख्य शिल्पकार के रूप में अगर कोई बड़ा चेहरा है तो गृहमंत्री अमित शाह जी ही हैं। उनकी रणनीति, समस्त संगठन पर उनकी पकड़, कार्यकर्ताओं के बीच लोकप्रियता, काम करने की उनकी शैली व कुशल नेतृत्व कार्यकर्ताओं को लुभाता है। यही वजह है कि ऐसी अवधारणा बन गई है।”


शाह के करीबी नेताओं के मुताबिक, चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ ही शाह कम से कम 18 घंटे का समय रणनीति बनाने और चुनाव प्रचार में लगा रहे हैं।

आमतौर पर हर चुनाव में शुरू से ही मुखर रहने वाले मोदी इस बार दिल्ली चुनाव प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं। उन्होंने अभी तक एक भी जनसभा को संबोधित नहीं किया है। मोदी तीन व चार फरवरी को दिल्ली में रैली को संबोधित करेंगे।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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