नई दिल्ली, 9 जून (आईएएनएस)| दर्शकों के बीच वेब सीरीज ‘टीवीएफ-पिचर्स’ और ‘शंघाई’, व ‘लव, सेक्स और धोखा’ जैसी फिल्मों से खास पहचान बनाने वाले अभिनेता नवीन कस्तूरिया का कहना है कि वह दोबारा सत्ता में काबिज हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार से अपेक्षा करते हैं कि फिल्मों पर सेंसरशिप कम से कम की जाए।
अभिनेता इन दिनों वेब सीरीज ‘थिंकिस्तान’ में नजर आ रहे हैं।
नवीन ने टेलीफोन पर दिए साक्षात्कार में आईएएनएस को बताया कि शो सन् 1990 के दशक के दौरान का है।
उन्होंने कहा, “यह शो 1990 के दशक पर आधारित है, उस समय हिंदुस्तान में जो एडवरटाइजिंग था, उसमें वो ज्यादातर अंग्रेजी जिंगल्स हुआ करता था तो फिर धीरे-धीरे हिंदी बेल्ट से लोग इस फील्ड में आने लगे और हमने हिंदी विज्ञापन देखना शुरू किया जैसे कि ‘ये दिल मांगे मोर’, ‘यही है राइट चॉइस बेबी’। तो उसी समय दो लोग एडवरटाइजिंग की दुनिया से जुड़ते हैं।”
उन्होंने कहा, “एक इंग्लिश और एक हिंदी बोलता है। एक साउथ इंडियन होता है और दूसरा भोपाल का रहने वाला होता है तो इसमें दोनों की दोस्ती देखने को मिलती है, हिंदुस्तान को जानने का मौका मिलता है, क्योंकि हिंदुस्तान में भी दो हिंदुस्तान हैं एक वो है जो थोड़ा अपर क्लास है और एक वो है जो उतने खुशकिस्मत नहीं है.. तो इन दोनों को इंडिया कैसे ट्रीट करता है और क्या कुछ गलत होता है या अवसर किस तरह से अलग तरीके से मिलते हैं और अगर आप मेहनत करेंगे तो क्या आप भाषा, या जातिगत दूरी खत्म कर सकते हैं, इन सबको दिखाया गया है। शो ये भी कहता है कि आइडिया ऐसा हो जो सबको एकजुट करे।”
अभिनेता शो में भोपाल के एक साधारण परिवार के लड़के की भूमिका में है। उन्होंने अपने किरदार के बारे में कहा, “मैं उस लड़के का किरदार निभा रहा हूं जो भोपाल से आता है और काफी साधारण परिवार से ताल्लुक रखता है। मुंबई आने पर शुरू में उसके पास कमरा लेने के लिए पैसे नहीं होते हैं और बाहर फुटपाथ पर सोता है तो फिर अपना एक मुकाम बनाता है, उसको इस बात का थोड़ा अफसोस रहता है कि उसकी अंग्रेजी अच्छी नहीं है..और उसको फिर ये लगता है कि अगर उसके साथ कुछ गलत होता है तो वो अंग्रेजी कमजोर होने की वजह से हैं तो फिर वह अंग्रेजी पर काम करता है। वह काफी खुशमिजाज और प्यारा सा इंसान है।”
फिल्म ‘सुलेमानी कीड़ा’ के अभिनेता को भी फिर से सत्ता में काबिज मोदी सरकार से उम्मीदें हैं। वह चाहते हैं कि सेंसरशिप नहीं हो और कला को अभिव्यक्त करने का पूरा हक हो।
उन्होंने कहा, “मोदी सरकार से उम्मीदें हैं कि कला को अपनी तरह से अभिव्यक्त किए जाने का पूरा हक हो। सेंसरशिप नहीं होनी चाहिए, क्योंकि कला उस समय की स्थिति बताता है, उस समय के दौर को दर्शाता है तो मुझे सिर्फ सेंसरशिप से दिक्कत है, बाकी तो सब ठीक है। अलग-अलग तरह की कहानियां आ रही हैं तो सेंसरशिप कम से कम होनी चाहिए। कहा नहीं जा सकता कि सरकार का इस दिशा में कितना इन्वॉल्वमेंट होता है। लेकिन हां, फिल्मों और कहानियों को सर्टिफाइड करना चाहिए। आप ये बताइए कि 16 से या 18 से ऊपर के लोग इसे देखें, लेकिन अगर कोई कहानी पर स्टोरी सुनाना चाहता है और एक छोटी सी बॉडी उसे सेंसरशिप करे तो ये मुझे अच्छा नहीं लगता।”
नवीन यूं तो निर्देशक बनने के लिए मुंबई आए थे, लेकिन उन्हें अभिनय में भी मौके मिलने लगे। फिल्म ‘जश्न’ में बतौर सहायक निर्देशक काम कर चुके नवीन ने बताया कि अभिनय में आने का तो उन्हें शुरू से शौक था लेकिन वह निर्देशन के लिए मुंबई आए थे.. और फिल्म ‘सुलेमानी कीड़ा’ में काम करने के बाद कैमरे के सामने काम करने को लेकर उनमें आत्मविश्वास आ गया तो फिर वहां से अभिनय का सिलसिला चल पड़ा।
आगामी फिल्मों के बारे में पूछे जाने पर नवीन ने कहा, “मेरी दो फिल्में ‘मैन टू मैन’ और ‘आपके कमरे में कोई रहता है’ आ रही हैं। ‘मैन टू मैन में’ अदा शर्मा के साथ दिखूंगा और ‘आपके कमरे में कोई रहता है’ में मैं स्वरा भास्कर, सुमित व्यास जैसे कलाकारों संग नजर आऊंगा।”
अलग-अलग किस्म की भूमिकाएं करने वाले नवीन अब ग्रे शेड का किरदार निभाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “मैं बहुत लकी हूं कि ‘बोस’ में मुझे दरबारी लाल का कैरेक्टर मिला। ‘थिंकिस्तान’ में अमित श्रीावस्तव कर रहा हूं, तो सब एक-दूसरे से बेहद अलग हैं। इन सभी रोल्स ने मुझे बहुत एक्साइट किया तो अब ग्रे शेड्स के किरदार भी करने का बड़ा मन है।”
कास्टिंग काउच के बारे में नवीन ने कहा, “मैंने कभी भी कास्टिंग काउच का सामना नहीं किया। अब चीजें ओपन भी हैं। अभी हाल ही में मीटू मूवमेंट भी शुरू हुआ तो इससे लोग थोड़ा संभलकर रहते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि कुछ गड़बड़ करेंगे तो बाहर सोशल मीडिया पर चीजें आ सकती हैं।”
फिल्म ‘लवशुदा’ के अभिनेता की ख्वाहिश शूजीत सरकार, जोया अख्तर, श्रीराम राघवन, इम्तियाज अली और अनुभव सिन्हा जैसे फिल्मकारों के साथ काम करने की है।