मप्र बाघों की संख्या में अव्वल

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भोपाल, 29 जुलाई (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश को एक बार फिर बाघों की संख्या के मामले में अव्वल स्थान हासिल हुआ है। यहां बाघों की संख्या 308 से बढ़कर 526 हो गई है। राज्य में एक बाघिन ऐसी है, जो अबतक 29 शावकों को जन्म दे चुकी है। राज्य को बाघ का दर्जा मिलने पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बधाई दी है। अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर जारी की गई बाघों की गणना में मध्य प्रदेश को एक बार फिर बाघ राज्य का दर्जा मिल गया है। यहां अब बाघों की संख्या बढ़कर 526 हो गई है। वर्ष 2014 में पिछली गणना में राज्य में 308 बाघ थे। सोमवार को जारी बाघों की गणना में मध्य प्रदेश के बाद कर्नाटक दूसरे स्थान पर है, जहां बाघों की संख्या 524 है। जबकि 442 बाघों के साथ उत्तराखंड तीसरे स्थान पर है।

केंद्र सरकार द्वारा सेामवार को जारी बाघ गणना आकलन रपट में मध्यप्रदेश को बाघ प्रदेश का दर्जा पुन: हासिल होने पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रसन्नता जाहिर की और प्रदेश के सभी नागरिकों को बधाई दी है।


मुख्यमंत्री ने जारी एक बयान में सभी राष्ट्रीय उद्यानों, अभयारण्यों के प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों कर्मचारियों के साथ ही बाघ संरक्षण से जुड़ीं सभी संस्थाओं, नागरिकों, विशेषज्ञों को भी बधाई दी है, जिन्होंने बाघों के संरक्षण के प्रति समय-समय पर अपनी चिता जताई और सरकार का ध्यान इस तरफ आकृष्ट किया।

मुख्यमंत्री ने कहा है, “पन्ना टाइगर रिजर्व ने बाघों के संरक्षण में अनूठा कार्य किया है, जो वन्यजीव प्रबंधन और संरक्षण की मिसाल बन गया। बाघ मध्यप्रदेश की पहचान हैं। यह भी साबित हो गया है कि राज्य के वन बाघों और अन्य वन्यजीवों के लिए सबसे सुरक्षित रहवास हैं।”

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर बाघों की संख्या पर जारी रिपोर्ट में देश में बाघों की कुल संख्या 2,967 बताई गई है। मध्य प्रदेश 526 बाघों के साथ देश में पहले स्थान पर है।


ज्ञात हो कि पूर्व में भी मध्य प्रदेश की ‘टाइगर स्टेट’ के तौर पर पहचान हुआ करती थी। बाद में बाघों की मौतों के कारण राज्य बाघ संख्या में पिछड़ गया और उसका टाइगर स्टेट का तमगा छिन गया। राज्य में बीते सात सालों में 141 से ज्यादा बाघों की मौत हुई है। सबसे बुरा हाल वर्ष 2010 में था, जब राज्य में 257 टाइगर रह गए थे। उसके बाद राज्य में बाघ संरक्षण पर ध्यान दिया गया, जिसके चलते वर्ष 2014 में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई, और बाघों का आंकड़ा 308 हो गया। अब एक बार फिर बाघों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है।

वहीं राज्य के पेंच राष्ट्रीय उद्यान में एक ऐसी बाघिन है, जो अब तक 29 शावकों को जन्म दे चुकी है। ‘कॉलर वाली’ बाघिन के नाम से पहचानी जाने वाली इस बाघिन को वर्ष 2008 में कॉलर लगाया गया था। इसके कारण इसका नाम कॉलर वाली बाघिन हो गया।

पेंच राष्टीय उद्यान के फील्ड डायरेक्टर विक्रम सिंह परिहार ने आईएएनएस को बताया, “कॉलर वाली बाघिन ने बीते एक दशक में 29 शावकों को जन्म दिया है, जिनमें से 25 अभी जीवित हैं। पेंच राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर दिवस पर देश में सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन के लिए चुना गया है। राज्य के तीन राष्टीय उद्यान पहले तीन स्थानों पर रहे हैं।”

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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