नई दिल्ली, 27 सितम्बर (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मराडू फ्लैट निवासियों की पीड़ा को लेकर चिंता जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि उन्हें संकट की घड़ी में छोड़ा नहीं जा सकता है और केरल सरकार को चार हफ्ते के भीतर प्रत्येक फ्लैट मालिक को अंतरिम मुआवजे के तौर पर 25 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा व न्यायमूर्ति एस.रविंद्र भट की पीठ ने तटवर्ती क्षेत्र में अवैध निर्माण पर चिंता जताते हुए यह आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने अधिकारियों को फ्लैट मालिकों की एक सूची जमा करने को कहा।
वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने अदालत से कहा कि मराडू फ्लैट निवासियों को मुआवजा देने के लिए 100 करोड़ रुपये की जरूरत होगी और प्रत्येक फ्लैट मालिक को अंतरिम मुआवजा देने का प्रस्ताव दिया।
शीर्ष अदालत ने कहा, “हम नहीं चाहते कि मराडू फ्लैट के निवासियों को कठिन संकट की घड़ी में छोड़ दिया जाए। लेकिन हमारी प्राथमिक चिंता कोस्टल रेग्युलेशन जोन (सीआरजेड) इलाके में अवैध निर्माण व इसके कारण आने वाली प्राकृतिक आपदा है। फ्लैटों को गिराया जाना है। अगर आप (सरकार) इसे नहीं गिराते हैं तो हम किसी और से इसे गिराने को कहेंगे।”
इसके बाद केरल सरकार ने मराडू में सीआरजेड के अवैध फ्लैट को गिराने के लिए 120 दिनों की अवधि का एक प्रस्ताव पेश किया। सरकार ने कोर्ट को सूचित किया कि 90 दिनों में फ्लैटों को गिराने का काम पूरा हो जाएगा और बाकी 30 दिन मलबे को हटाने में लगेंगे।
शीर्ष अदालत ने कहा कि मराडू के फ्लैट मालिकों को मुआवजा और आश्रय दिया जाना चाहिए।
फ्लैट मालिकों को 25 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा देने का निर्देश देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि मुआवजे की बाकी राशि एक कमेटी द्वारा तय की जाएगी।
कोर्ट ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में कमेटी की नियुक्ति का आदेश दिया।