मतदाताओं को मोदी सरकार की ‘वास्तविकता’ बताएगी आम आदमी पार्टी

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 नई दिल्ली, 13 जनवरी (आईएएनएस)| आम आदमी पार्टी (आप) ने रविवार को कहा कि पार्टी इस विवरण के साथ लोगों के बीच आएगी कि ‘कैसे मोदी सरकार ने पिछले पांच साल में लोकतंत्र और संस्थानों को तबाह किया है’ ताकि मतदाताओं को 2019 में देश का भविष्य तय करने से पहले ‘वास्तविकता’ का पता चल सके।

 भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर ‘केंद्रीय एजेंसियों के गैर-कानूनी व मुखर दुरुपयोग’ के सहारे अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर निशाना साधने का कोई अवसर नहीं छोड़ने का आरोप लगाते हुए आप ने एक बयान में कहा कि मोदी सरकार ने देश के सभी संस्थानों को तबाह कर दिया है।


बयान में कहा गया, “आप इस बात को लेकर स्पष्ट है कि आगामी लोकसभा चुनाव यह निर्धारित करेंगे कि भारत में लोकतंत्र कायम रहेगा या नहीं। मोदी सरकार के पांच साल के अलोकतांत्रिक, संघीय-विरोधी और तानाशाही कार्यकाल के पूरा होने के साथ भारत के मतदाता यह तय करेंगे कि ऐसा शासन उनके हित में है या नहीं।”

पार्टी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र को गुमराह करने के लिए झूठ बोल रहे हैं क्योंकि उनके कार्यकाल के दौरान कोई ठोस उपलब्धि हासिल नहीं हुई है।

पार्टी ने कहा, “आने वाले दिनों में आप पिछले पांच वर्षों के दौरान मोदी सरकार द्वारा संस्थानों और लोकतंत्र को कैसे नष्ट किया गया, इस बारे में विस्तार से बताएगी ताकि 2019 में देश का भविष्य तय करने से पहले मतदाताओं को वास्तविकता का पता चल सके।”


दिल्ली की निर्वाचित सरकार के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के कई बार प्रयोग को याद करते हुए पार्टी ने बयान में कहा है, “दिल्ली के निर्वाचित मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और दो मंत्रियों के आवास व कार्यालय पर सीबीआई व दिल्ली पुलिस द्वारा छापेमारी और केंद्रीय एजेंसियों द्वारा पूछताछ की गई।”

बयान में कहा गया, “दिल्ली पुलिस ने राजनीतिक रूप से बड़ी चालाकी से कम से कम 20 विधायकों को झूठे आरोपों में गिरफ्तार किया और सभी मामले अदालत में अभी तक गलत साबित हुए हैं।”

पार्टी ने कहा, “फर्जी मामलों में मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद को फंसाने के लिए दिल्ली सरकार की 400 से अधिक फाइलें अवैध रूप से जब्त कर ली गईं लेकिन मोदी सरकार अपनी इस भयावह योजना में बुरी तरह से विफल रही।”

पार्टी ने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने पिछले चार वर्षों के दौरान केजरीवाल सरकार पर सीबीआई व दिल्ली पुलिस द्वारा कई बार छापेमारी को अंजाम दिया और पूछताछ की।

पार्टी ने बयान में कहा, “अब, यह बात सामने आई है कि मोदी सरकार राफेल लड़ाकू विमान को बहुत अधिक कीमत पर खरीदना चाहती है। एक लड़ाकू विमान की कीमत लगभग 600 करोड़ रुपये है और सरकार इसे 1,600 करोड़ रुपये में खरीदना चाहती है। इसका मतलब 36 लड़ाकू विमानों के लिए सरकारी खजाने पर 36,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त भार पड़ेगा।”

पार्टी ने कहा, “(सीबीआई निदेशक) आलोक वर्मा द्वारा इसी की जांच की जानी थी। अगर जांच होती तो इसमें क्या गलत था? इस वजह से प्रधानमंत्री ने वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटाने में अपनी सारी ताकत लगा दी।”

पार्टी ने आश्चर्य जताया कि अगर प्रधानमंत्री ने कुछ गलत किया ही नहीं तो राफेल की जांच कराने में क्या दिक्कत है।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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