मुस्लिम लड़की के मामले में उप्र के गृह सचिव की पेशी का आदेश

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नई दिल्ली, 19 सितंबर (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के गृह सचिव को सोमवार को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने यह आदेश एक नाबालिग मुस्लिम लड़की द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार द्वारा कोई जवाब दाखिल न किए जाने पर दिया है, जिसके तहत लड़की की शादी अमान्य है।

न्यायमूर्ति पी.वी. रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य के गृह सचिव को खुद कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया। पीठ ने पाया कि राज्य सरकार ने अवसर दिए जाने के बावजूद कोई जवाब दाखिल नहीं किया है।


उत्तर प्रदेश सरकार ने इस याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगा है।

पीठ ने कहा, “हम राज्य के गृह सचिव को सोमवार को अपने समक्ष पेश किए जाने का निर्देश देने के लिए मजबूर हैं।”

अदालत 16 साल की एक मुस्लिम लड़की की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसकी शादी इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा अमान्य घोषित किए जाने के बाद उसे उत्तर प्रदेश में महिलाओं के शेल्टर होम (आश्रय गृह) में रखने का आदेश दिया गया था।


हाईकोर्ट ने यह जानते हुए ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ लड़की की याचिका खारिज कर दी थी कि वह नाबालिग है और उसका मामला किशोर न्याय (देखभाल और सुरक्षा) अधिनियम, 2015 के अंतर्गत देखा जाएगा और अगर वह अपने परिजनों के साथ नहीं जाना चाहती है तो उसे शेल्टर होम भेजने का आदेश सही है।

मुस्लिम लड़की ने अपनी याचिका में कहा कि इस्लामिक नियम के अनुसार, यौवन अवस्था (15 साल) की आयु होने पर कोई महिला अपने जीवन के निर्णय खुद लेने के लिए स्वतंत्र है और अपनी मर्जी से शादी करने के लिए स्वतंत्र है।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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