न्यू मीडिया अब न्यू नॉर्मल बन गया है : संजय द्विवेदी

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शिक्षा मंत्रालय के वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग (उच्च शिक्षा आयोग) के तत्वाधान में आयोग की हीरक जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में “जनसंचार तकनीकी शब्दावली :  शिक्षण, कार्यक्षेत्र एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति” विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया।

संगोष्ठी का संयोजन महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्व विद्यालय, वर्धा के जनसंचार विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. रेणु सिंह ने एवं सत्र का संचालन आयोग की चक्प्रम बिनोदिनी देवी ने बहुत ही कुशलता के साथ की।


मुख्य अतिथि भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि मीडिया शिक्षा की यात्रा को वर्ष 2020 में 100 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन हमें अभी भी बहुत काम करना शेष है।

उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा के पास विदेशी मॉडल की तुलना में बेहतर संचार मॉडल हैं। इसलिए हमें संवाद और संचार के भारतीय मॉडल के बारे में बातचीत शुरू करनी चाहिए।

अगले वक्ता के रूप में माननीय अतिथि महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, जनसंचार विभाग के अध्यक्ष और डीन प्रो. कृपाशंकर चौबे ने कहा कि आज हिंदी किस तरह क्षेत्रीय भाषाओं के साथ सहकार बने यह चिंतनीय है। हिंदी शब्दावली में भी अच्छे-अच्छे शब्द हैं, उन्हें प्रयोग में लाने की जरूरत है। हमें हिंदी के समाचार पत्रों में अंग्रेजी के शब्दों के प्रयोग से परहेज करने की जरूरत है। हालांकि जो शब्द विभिन्न भाषाओं से घुल-मिल गए हैं, उनसे कोई आपत्ति नहीं है।


अगले वक्ता के रूप में विशिष्ट अतिथि ग्रेटर नोएडा स्थित गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन एंड मीडिया स्टडी में कार्यरत प्रो. बंदना पाण्डेय ने कहा कि वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए भारत के सभी भाषाओं को सम्मान देने का प्रयास किया गया है। संगोष्ठी की अध्यक्षता आयोग के अध्यक्ष प्रो. अवनीश कुमार ने कहा कि हमें अपनी भाषा पर विशेष ध्यान दिये जाने की जरूरत है।

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