निर्यात, आवासीय परियोजनओं को बढ़ावा देने के लिए 60,000 करोड़ रुपये का एलान (लीड-2)

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नई दिल्ली, 14 सितम्बर (आईएएनएस)| वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के आर्थिक विकास को रफ्तार देने के मकसद से निर्यात और अवासीय क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए शनिवार को नए कदमों का एलान किया। इसके तहत उन्होंने इन दोनों क्षेत्रों में तेजी लाने के लिए 60,000 करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की। अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्र में मांग नरम रहने और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर घटकर छह साल के निचले स्तर पांच फीसदी पर आ जाने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है।

सरकार ने जिन कदमों का एलान किया है उनमें निर्यात संवर्धन के लिए कर व शुल्क प्रतिपूर्ति योजना को बढ़ाना, जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के लिए पूरी तरह ऑटोमेटेड इलेक्ट्रॉनिक रिफंड, निर्यात के लिए प्राथमिक सेक्टर के कर्ज के मानकों में संशोधन और एक्सपोर्ट क्रेडिट इंश्योरेंस स्कीम (ईसीआईएस) के क्षेत्र में विस्तार शामिल है। निर्यात वित्तपोषण की निगरानी के लिए एक अंतर-मंत्रालयी कार्यसमूह का गठन किया गया है।


वित्तमंत्री ने बताया कि मौजूदा मर्चेटाइज एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम (एमईआईएस) की जगह रीमिशन ऑफ ड्यूटीज फॉर एक्सपोर्ट प्रोडक्ट्स (आरओडीटीईपी) अर्थात निर्यात उत्पादों पर शुल्क में छूट की योजना लाई गई है।

उन्होंने बताया कि आरओडीटीईपी लागू करने से सरकारी खजाने पर 50,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।

आरओडीटीईपी की योजना मौजूदा एमईआईएस की जगह लेगी।


टेक्सटाइल्स (कपड़ा उद्योग) में मौजूदा एमईआईएस की व्यवस्था और आरओएसएल 12 दिसंबर 2019 तक जारी रहेगी। टेक्सटाइल व अन्य क्षेत्र जिन्हें वर्तमान में एमईआईएस पर दो फीसदी प्रोत्साहन मिलता है उनमें एक जनवरी 2020 से आरओडीटीईपी लागू होगी।

सीतारमण ने प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर निर्यात के लिए जहाज पर माल लादने और उतारने के काम में लगने वाले समय में कमी लाने का भी एलान किया जोकि बोस्टन और शंघाई बंदरगाह के समान होगा।

उन्होंने कहा कि निर्यात के लिए कर्ज देने की प्राथमिकता क्षेत्र के नियमों का परीक्षण भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा किया जा रहा है और इस संबंध में दिशानिर्देश जल्द ही जारी किया जाएगा।

निर्यात गारंटी और क्रेडिट लागत में कटौती के लिए सरकार 1,700 करोड़ रुपये प्रदान करेगी।

देश में आवासी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए वित्तमंत्री ने कई कदमों का एलान किया।

वित्तमंत्री ने कहा कि आवासीय क्षेत्र के लिए अब ईसीबी(एक्सटर्नल कमर्शियल बोरोइंग) के नियमों को नरम बनाया जाएगा। इसके अलावा, 10 साल की सरकारी प्रतिभूतियों से जोड़कर भवन निर्माण पर ब्याज में कमी लाई जाएगी।

धन के अभाव में अटकी निर्माणाधीन आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये का विशेष कोष बनाया है।

सरकार के इस कदम का मकसद मध्यम आय वर्ग के लोगों के मकान के सपने को पूरा करना और सस्ते आवासीय योजनाओं को धन मुहैया करवाना है। मगर, इस कोष से धन उन्हीं परियोजनाओं को पूरा करने के लिए दिया जाएगा जो गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) के अंतर्गत नहीं आते हैं और राष्ट्रीय कंपनी काननू न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के पास पड़े मामले नहीं हैं।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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