पाकिस्तानी लड़की को प्रियंका चोपड़ा ने दिया करारा जवाब

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लॉस एंजेलिस, 12 अगस्त (आईएएनएस)| भारतीय सेना के पक्ष में बोलने पर पाकिस्तानी लड़की द्वारा आलोचना झेलने के बाद अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने लड़की को करारा जवाब दिया। पाकिस्तानी लड़की ने प्रियंका चोपड़ा को संयुक्त राष्ट्र की सद्भावना राजदूत होने के बावजूद भारतीय सेना के पक्ष में ट्वीट करने के लिए पाखंडी कहा था। लड़की की सोशल मीडिया पर आलोचना हुई जिसके बाद उसने ट्वीट कर कहा कि अभिनेत्री ने उसे ऐसे पेश किया जैसे कि वह ‘खराब इनसान’ है।

लॉस एंजेलिस में हुए कार्यक्रम में प्रियंका ने लड़की से कहा, “मेरे पाकिस्तान के कई सारे दोस्त हैं और मैं भारत से हूं। युद्ध ऐसी चीज नहीं है जिसके मैं पक्ष में हूं, लेकिन मैं देशभक्त हूं। मैं माफी मांगती हूं, अगर मैंने उन लोगों की भावनाएं आहत की हों, जो मुझे पसंद करते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि हम सभी का अपना एक मध्य मार्ग होता है जिस पर हमें चलना होता है, जैसा कि शायद आप भी कर रही हैं। जिस तरह से आप अभी मेरे पास आई हैं, चिल्लाइए नहीं। हम सभी यहां प्यार के लिए हैं।”


प्रियंका की टिप्पणी पाकिस्तानी लड़की के इस आरोप के बाद आई, जिसमें लड़की ने अभिनेत्री को पाखंडी बताते हुए पाकिस्तान के खिलाफ परमाणु युद्ध को प्रोत्साहित करने का आरोप लगाया था।

लड़की ने कहा था, “आप संयुक्त राष्ट्र की गुडविल एंबेसडर हैं और पाकिस्तान में परमाणु युद्ध को बढ़ावा दे रही हैं..आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। एक पाकिस्तानी के रूप में मैंने और भी लाखों लोगों ने आपको आपके व्यापार में सहयोग किया है।”

दरअसल यह लड़की प्रियंका के फरवरी 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद किए गए एक ट्वीट के संदर्भ में बात कर रही थी, जिसमें प्रियंका ने भारतीय वायुसेना के पक्ष में ट्वीट करते हुए लिखा था, “जय हिंद।”


घटना का वीडियो वायरल होने के बाद लड़की की काफी आलोचना हुई। इसके बाद लड़की ने सोशल मीडिया पर आयशा मलिक के रूप में अपनी पहचान उजागर करते हुए ट्वीट किया, “हेलो, मैं ही वह लड़की हूं जो प्रियंका चोपड़ा पर ‘चिल्लाई’ थी। उनके मुंह से यह सुनना बहुत कठिन था कि हम पड़ोसी हैं और हमें एक-दूसरे से प्यार करना चाहिए। यह सलाह वह अपने प्रधानमंत्री को दें। भारत और पाकिस्तान दोनों खतरे में हैं। और, ऐसे समय में उन्होंने परमाणु युद्ध के समर्थन में ट्वीट कर दिया।”

इसके बाद आयशा ने लिखा, “इससे मुझे उस दौर की याद आ जाती है जब मैं अपने परिवार के पास नहीं पहुंच पा रही थी क्योंकि ब्लैकआउट किया गया था और मैं कितना डरी हुई और असहाय थी। उनकी बातों ने ऐसा दिखाया जैसे कि मैं बुरी हूं। संयुक्त राष्ट्र की राजदूत होने के नाते यह बेहद गैर-जिम्मेदाराना है। सॉरी, नहीं पता था कि मानवीय संकट के बारे में बात करना ‘भड़ास’ निकालना होता है।”

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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