पास्ता के लिए ड्यूरम गेहूं उगाने पर जोर, सेमोलिना की इटली तक धमक

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नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)। पराठे की जगह पास्ता के लिए खास किस्म का गेहूं उगाना किसानों के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित हो रहा है, क्योंकि गेहूं की इस किस्म का उनको अधिक दाम मिल रहा है। गेहूं की यह खास किस्म है ‘ड्यूरम’ जिसके सेमोलिना यानी रवा का इस्तेमाल पास्ता बनाने में होता है। ड्यूरम से बने सेमोलिना की मांग देश-विदेश के बाजारों में है, यहां तक कि इसकी धमक इटली तक पहुंच चुकी है।

ग्लोबल फूड के रूप में विकसित पास्ता एक महत्वपूर्ण व्यंजन के तौर पर इटली का पर्याय बन चुका है। पास्ता के लिए जो सेमोलिना इस्तेमाल होता है वह ड्यूरम किस्म के गेहूं से बनता है जो बादामी रंग का होता है। भारत में मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र और राजस्थान के कोटा और बूंदी में ड्यूरम में इसकी बहुतायत में खेती होती है।


इंदौर के कारोबारी और सेमोलिना के निर्यातक पंकज गोयल ने बताया कि सेमोलिना का उपयोग पास्ता बनाने में होता है जोकि आज के दिनों में एक ग्लोबल फूड बन चुका है, इसलिए देश-विदेश के बाजारों में सेमोलिना की काफी मांग है। उन्होंने कहा कि मध्य-पूर्व समेत एशिया के कई देशों में भारत से प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद के तौर पर सेमोलिना का निर्यात होता है। उन्होंने कहा कि इन दिनों कीमत में अंतर को लेकर अड़चन आ रही है, लेकिन इटली में भी निर्यात के अवसर है, क्योंकि वहां इसकी जबरदस्त मांग है।

गोयल ने बताया कि इस समय भारत से सेमालिना 480 डॉलर प्रतिटन (एफओबी) पर जा रहा है।

उज्जैन के जींस कारोबारी संदीप सारदा ने बताया कि ड्यूरम गेहूं की औद्योगिक मांग जबरदस्त होती है, क्योंकि इसमें चमक काफी होती है और ग्लूटेन और प्रोटीन की मात्रा अधिक होने से इसकी औद्योगिक हमेशा बनी रहती है। उन्होंने बताया कि इस बार बारिश के चलते फसल थोड़ी कमजोर रही है इसके लिए चमक पर असर पड़ा है, फिर भी इसका बाजार भाव 2,250 रुपये प्रतिक्विंटल तक है।


राजमाता विजयराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक (अनुसंधान सेवा) डॉ. एम.पी. जैन ने आईएएनएस को बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के इंदौर स्थित क्षेत्रीय गेहूं अनुसंधान केंद्र द्वारा ड्यूरम गेहूं की किस्म विकसित की गई है। उन्होंने बताया कि पूसा तेजस, मालव राज, मालव शक्ति आदि ड्यूरम गेहूं की कई वेरायटी है, जिसकी पैदावार 60 क्विंटल प्रतिहेक्टेयर होती है और इसमें जिंक व आइरन की मात्रा अधिक होती है। उन्होंने कहा कि गेहूं की इस किस्म का औद्योगिक उपयोग ज्यादा होता है।

मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले धार जिले के कुछ युवा किसान सोसायटी बनाकर जैविक पद्धति से उगाई जाने वाले गेहूं की ड्यूरम किस्म की व्यापक तरीके से मार्केटिंग कर रहे हैं। पास्ता के लिए इस्तेमाल होने वाले इस गेहूं की उनको अच्छा दाम मिल रहा है।

राजस्थान के बूंदी के जींस कारोबारी उत्तम जेठवानी ने बताया कि गेहूं का इस समय अच्छा दाम नहीं मिल रहा है, क्योंकि मांग कमजोर है। फिर भी मिल क्वालिटी के गेहूं के मुकाबले ड्यूरम वेरायटी कस गेहूं 200-250 रुपये प्रतिक्विंटल ऊंचे भाव पर बिक रहा है।

–आईएएनएस

पीएमजे/एसजीके

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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