पीपीपी मॉडल कार्यक्रम में युवाओं को मिलेगा सड़क सुरक्षा का प्रशिक्षण

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नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (आईएएनएस)| केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग, रसायन व उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख लाल मंडाविया ने सोमवार को यहां युवा सड़क सुरक्षा प्रशिक्षु लाइसेंस कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से सरकार को 2020 तक सड़क दुर्घटनाओं में 50 प्रतिशत कमी लाने के अपने लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। सार्वजनिक निजी हिस्सेदारी (पीपीपी) मॉडल में शुरू किए गए इस कार्यक्रम का संचालन डियाजियो इंडिया और इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन (आईआरटीई) के सहयोग से किया जाएगा।

इस कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षु लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले युवाओं को औपचारिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। देश में यह अपने तरह का पहला प्रशिक्षण कार्यक्रम है।


कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मंडाविया ने कहा, “हमारे लिए सड़क सुरक्षा काफी अहम है, क्योंकि हाल के समय में सड़क दुर्घटनाओं में खासतौर से युवाओं के मारे जाने की घटनाओं में तेजी से वृद्धि आई है। तेज गाड़ी चलाने, शराब पीकर गाड़ी चलाने, आवश्यक सुरक्षा उपायों के अभाव में जैसे हेलमेट नहीं पहनना आदि कुछ ऐसे प्रमुख कारक हैं जिसके कारण सड़क दुर्घटनाएं बढ़ी हैं।”

मंत्रालय में अपर सचिव लीना नंदन ने कहा कि सड़क का इस्तेमाल कर रहा हर व्यक्ति सड़क सुरक्षा का ब्रांड अंबेसडर है।

उन्होंने बताया कि विश्व में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं का 12.5 प्रतिशत (एक वर्ष में 1.45 लाख से अधिक मौतें) भारत में होती है। उन्होंने कहा, “चौंका देने वाली बात यह है कि सड़क हादसों के शिकार 72 प्रतिशत लोग 15-44 आयु वर्ग के होते हैं जो तेज गति, असावधानी और शराब पीकर गाड़ी चलाने के कारण दुर्घटना के शिकार होते हैं। उन्होंने कहा कि करीब1.5 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं तेज गति, असावधानी और शराब पीकर गाड़ी चलाने के कारण होती हैं।


मंत्रालय में संयुक्त सचिव अभय दाम्बले ने कहा कि युवा सड़क सुरक्षा प्रशिक्षु लाइसेंस कार्यक्रम सड़क सुरक्षा जागरूकता में सुधार लाकर इस गंभीर मुद्दे के समाधान की दिशा में एक प्रमुख कदम है।

इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन (आईआरटीई) के अध्यक्ष डॉ. रोहित बालूजा ने कहा कि युवा पीढ़ी सड़क सुरक्षा के प्रति अतिसंवेदनशील है। हर प्रयास उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि पहले वर्ष में इस कार्यक्रम में देश भर में कुल 400 कार्यक्रमों के साथ 20 विश्वविद्यालयों को शामिल किया गया है।

इस कार्यक्रम के अंतर्गत सड़क सुरक्षा क्षमता निर्माण में 4624 यातायात अधिकारियों, 6000 व्यावसायिक वाहन चालकों और 17 राज्यों के 64 से अधिक शहरों में विश्वविद्यालय के 5000 से अधिक छात्रों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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