पोलाची मामले की जांच अदालत की निगरानी में हो : द्रमुक मोर्चा

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चेन्नई, 15 मार्च (आईएएनएस)| तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) की अगुवाई वाले सेक्युलर फ्रंट ने शुक्रवार को पोलाची सीरियल यौन उत्पीड़न व ब्लैकमेलिंग मामले की सीबीआई जांच उच्च न्यायालय की निगरानी में कराने की मांग की। द्रमुक प्रमुख की अध्यक्षता में यहां सभी गठबंधन सहयोगियों के साथ बैठक हुई, जिसमें इस आशय का प्रस्ताव पारित किया गया।

प्रस्ताव में कहा गया कि उच्च न्यायालय द्वारा इस पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए, जैसा मूर्ति चोरी के मामलों में दिया जाता है और सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी आरोपी बचने न पाए।


सत्तारूढ़ ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के लोगों पर अपराध में शामिल होने का आरोप लगाते हुए प्रस्ताव में दावा किया गया कि सच्चाई को छिपाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

इसमें आरोप लगाया गया, “जिस तरह से चार गिरफ्तार आरोपियों पर गुंडा एक्ट लगाया गया है, सीबी-सीआईडी जांच व इसके बाद मामले को सीबीआई को स्थानांतरित करने का आदेश जारी किया गया और इसके बाद के कदम दिखाते हैं कि आरोपियों को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं।”

इसमें कहा गया, “अगर न्याय करना है तो उच्च न्यायालय की निगरानी में सीबीआई जांच सुनिश्चित की जानी चाहिए और इसमें शामिल लोगों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए।”


यह आरोप लगाते हुए कि अपराध बीते सात सालों से जारी था, प्रस्ताव में राज्य सरकार द्वारा पीड़ित का नाम जारी किए जाने की निंदा की गई। पीड़ित ने शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें कहा गया है कि ऐसा दूसरी पीड़िताओं को आगे आकर शिकायत करने से रोकने के लिए किया गया है।

इस मामले के मास्टरमांइड तिरुनावुक्कारसु सहित चार आरोपियों को कोयंबटूर जिला कलेक्टर के. राजमणि व कोयंबटूर ग्रामीण अधीक्षक आर. पांडियाराजन के निर्देश पर गिरफ्तार किया गया।

पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) टी.के. राजेंद्रन द्वारा सीबी-सीआईडी की जांच के आदेश देने के दो दिन बाद मामले को सीबीआई को हस्तांतरित करने का आदेश दिया गया।

इस मामले के चार आरोपी- तिरुनावुक्कारसु, सबरीराजन, वसंतकुमार व सतीश हिरासत में हैं। इन पर पोलाची में बहुत सी महिलाओं के यौन उत्पीड़न व उनका वीडियो बनाने का आरोप है।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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