पटना में अंतर्राष्ट्रीय मैथिल संस्था सम्मेलन शुरू, संस्कृति बचाने पर जोर

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 पटना, 9 मार्च (आईएएनएस)| बिहार की राजधानी पटना के विद्यापति भवन में चेतना समिति के तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय मैथिल संस्थाओं का दो दिवसीय सम्मलेन शनिवार को शुरू हो गया।

  इस सम्मेलन में मिथिला और मैथिलों की समस्याओं पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए बिहार के मंत्री विनोद नारायण झा ने कहा कि आज संपूर्ण विश्व में संस्कृति युद्ध चल रहा है। संस्कृतियों के लिए यह संकट का समय है। उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति को बचाना हम सभी का दायित्व है।


झा ने कहा कि आज के दौर में लोक भाषाओं को दबाया जा रहा है, जो चिंता का विषय है। उन्होंने इस आयोजन को मिथिला और मैथिली के लिए जरूरी बताते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से समाज को बल मिलता है।

इस मौके पर समिति के सचिव उमेश मिश्र, प्रेमलता मिश्र प्रेम, दिनेश चंद्र झा, योगेंद्र नारायण मल्लिक, विवेकानंद ठाकुर सहित कई लोग उपस्थित रहे। इस मौके पर रमानंद झा रमण संपादित और चेतना समिति से प्रकाशित किताब ‘मधुप चेतना’ का लोकार्पण भी किया गया।

सम्मेलन में ‘मैथिली भाषा के संरक्षण और विकास’ के मुद्दे पर चर्चा करते हुए डॉ़ वासुकीनाथ झा ने भाषा को जाति-धर्म-वर्ग निरपेक्ष होने पर बल देते हुए कहा, “भाषा का निर्धारण मुख्य आवाम को देखकर किया जाना चाहिए। आमतौर पर मैथिली को वर्गीय दृष्टि से देखा जाता है। यह गलत बात है। इस पर चिंतन हो और इसके लिए योजना बनाई जाए।”


सम्मेलन में मिथिला की आर्थिक व्यवस्था और समाधान पर भी चर्चा की गई। इस मुद्दे पर विजय प्रकाश ने अपनी बातें रखीं। इस मौके पर ‘स्लाइड शो’ के जरिए मिथिला का शिक्षा दर, सिंचित-असिंचित भूमि, कृषि ब्यौरा, श्रम दर, उत्पादकता का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि यहां की मक्का खेती काफी अच्छी है, जो एक विदेशी सर्वे में भी साबित हुआ है। उन्होंने लीची और मखाना की खेती की भी चर्चा की।

कार्यक्रम के अंतिम सत्र में सांस्कृतिम कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें सौम्या मिश्र और संजय झा ने अपने मैथिली गीतों की प्रस्तुति दी। कलाकृति द्वारा विद्यापति के गीतों पर भावनृत्य भी प्रस्तुत किए गए।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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