राम नाईक की किताब गीता के समान : महाराष्ट्र के राज्यपाल

  • Follow Newsd Hindi On  

 मुंबई/लखनऊ, 3 मार्च (आईएएनएस/आईपीएन)। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक की किताब ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के सिंधी संस्करण ‘हलंदा हलो’ का लोकार्पण मुंबई राजभवन में रविवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव ने किया। )

 समारोह में राव ने कहा कि नाईक की पुस्तक समाज सेवा एवं राजनीति में कार्य करने वालों के लिए गीता के समान है, जिसका बार-बार अध्ययन किया जाना चाहिए। नाईक ने राजनीति को समाजसेवा का माध्यम बनाकर गरीब, जरूरतमंद, कुष्ठ पीड़ितों एवं महिलाओं के लिए बहुत कार्य किया है। उन्होंने अपने जीवन में सदैव सामाजिक मुद्दों की राजनीति की है। वे मुंबई राजभवन में प्रतिनिधिमंडल के साथ राज्यपाल से मुलाकात कर जनसमस्याओं के बारे में अवगत कराते रहे हैं और उनके समाधान का सुझाव भी देते हैं।


उन्होंने कहा कि नाईक की सामाजिक मुद्दों से जुड़ी राजनीति के कारण सन् 1986 में महाराष्ट्र के राज्यपाल कोना प्रभाकर राव को त्यागपत्र तक देना पड़ा था।

नाईक ने कहा कि वह मुंबई से हैं और आज उनकी पुस्तक के सिंधी संस्करण का लोकार्पण मुंबई राजभवन में हो रहा है। नाईक ने कहा कि उनके सामाजिक एवं राजनैतिक जीवन में सिंधी भाषिक महानुभावों का बहुत प्रभाव रहा है। सिंधी लोग सदैव उनके लिए प्रकाश पुंज के समान रहे हैं।

उन्होंने बताया कि जनसंघ के मुंबई अध्यक्ष झमटमल वाधवानी से एवं विधायक रहते हुए नेता विधायक दल हशु आडवाणी से उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में बहुत सीखा है। राज्यपाल ने कहा कि 1989 से सांसद रहे तो अटल जी एवं आडवाणी जी का सान्निध्य प्राप्त हुआ। उनकी पुस्तक का सिंधी में प्रकाशन का कार्यक्रम उन्हें बहुत समाधान देने वाला अवसर है।


लोकार्पण समारोह से पूर्व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने राज्यपाल नाईक से भेंट तथा उन्हें पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के सिंधी संस्करण के लिए बधाई भी दी। राज्यपाल नाईक ने उन्हें पुस्तक की प्रति भेंट की।

ज्ञातव्य है कि राज्यपाल राम नाईक के मराठी भाषी संस्मरण संग्रह ह्यचरैवेति! चरैवेति!!ह्य का विमोचन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस द्वारा 25 अप्रैल, 2016 को मुंबई में किया गया था। राज्यपाल की पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू तथा गुजराती संस्करणों का लोकार्पण 9 नवंबर 2016 को राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली में, 11 नवंबर 2016 को लखनऊ के राजभवन में तथा 13 नवम्बर 2016 को मुंबई में हुआ।

26 मार्च, 2018 को संस्कृत नगरी काशी में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के संस्कृत संस्करण का लोकार्पण किया गया। 21 फरवरी 2019 को पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के सिंधी प्रकाशन का लखनऊ में तथा 22 फरवरी, 2019 को अरबी एवं फारसी संस्करण का लोकार्पण नई दिल्ली में हुआ। नाईक की मूल मराठी पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ अब सिंधी, हिंदी, गुजराती, संस्कृत, उर्दू, अंग्रेजी, फारसी, अरबी और जर्मन जैसी दस भाषा में उपलब्ध है।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर फ़ॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब भी कर सकते हैं.)