ऋण स्थगन मामले में क्रेडाई की याचिका पर केंद्र, आरबीआई से जवाब तलब

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नई दिल्ली, 15 मई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कंफेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) की ओर से दायर एक याचिका पर केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है कि क्या रियल एस्टेट फर्म ऋण स्थगन के पात्र हैं।

न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने दो सप्ताह के भीतर भारतीय रिजर्व बैंक और अन्य की प्रतिक्रिया मांगी। क्रेडाई द्वारा दायर याचिका में यह स्पष्ट करने की मांग की गई है कि क्या सभी गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए ऋण अधिस्थगन के लिए पात्र होना अनिवार्य कर दिया है, या यह लाभ देना बैंक के विवेक पर आधारित है।


क्रेडाई की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ के समक्ष दलील पेश करते हुए कहा कि मुख्य मुद्दा यह है कि आरबीआई के सकुर्लर और रियल एस्टेट डेवलपर्स पर इसके लागू होने की तस्वीर क्या होगी। उन्होंने कहा कि आरबीआई इसे स्पष्ट करे।

उन्होंने कहा कि आरबीआई स्पष्ट करे कि क्या यह सकरुलर बैंकों के लिए बाध्यकारी है, क्योंकि इस स्पष्टता के अभाव में कुछ बैंक रियल एस्टेट डेवलपर्स को ऋण स्थगन का लाभ नहीं दे रहे हैं।

वहीं केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह संबंधित मंत्रालय और अन्य अधिकारियों से निर्देश हासिल करेंगे और उसके बाद वापस अदालत आएंगे।


आरबीआई ने मार्च में राष्ट्रव्यापी बंद के वित्तीय प्रभाव से निपटने के लिए कई उपाय जारी किए थे। इसने एक सर्कुलर जारी किए थे, जिसमें सभी बैंकों औैर वित्तीय संस्थानों को उधारीकर्ताओं के अनुरोध पर टर्म लोन की किश्तों के भुगतान को एक मार्च से तीन महीने तक लंबित करने की अनुमति दिया गया था।

वहीं शीर्ष अदालत ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि एक मार्च और 31 मई के बीच ऋण चुकाने पर तीन महीने की मोहलत वाला उसका सकुर्लर शब्दसह लागू किया जाए, क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि बैंक ऋण लेने वालों को लाभ नहीं पहुंचा रहे।

–आईएएनएस

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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