ऋषिगंगा नदी के पास बनी झील, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने सतर्क रहने की हिदायत दी (लीड-1)

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देहरादून, 12 फरवरी (आईएएनएस)। ऋषिगंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में सैटेलाइट तस्वीरों की जरिए एक बड़ी झील के निर्माण का पता चलने के बाद उत्तराखंड सरकार ने शुक्रवार को सतर्क रहने की हिदायत दी है।

उत्तराखंड के चमोली जिले में सात फरवरी को ग्लेशियर टूटने के बाद कहर बरपाने वाली ऋषिगंगा नदी के पास झील बनने की बढ़ती आशंकाओं के बीच उत्तराखंड सरकार ने बयान जारी किया है।


मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा, हमें उपग्रह (सैटेलाइट) तस्वीरों से ऋषिगंगा में 400 मीटर लंबी झील के निर्माण का पता चला है, जिसके बाद हमें अलर्ट रहने की जरूरत है।

शीर्ष सरकारी अधिकारियों ने कहा कि लोगों को ऋषिगंगा नदी के पास नहीं जाने और सभी सावधानियां बरतने को कहा गया है।

वहीं उत्तराखंड सरकार ने शुक्रवार को एक टीम को यह पता लगाने के लिए भेजा है कि क्या वाकई ऋषिगंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में एक झील बन गई है।


एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवानों की टीम झील बनने की असल जानकारी प्राप्त करने के लिए हिमालय के अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कठिन इलाकों को ट्रैक (दुर्गम पगडंडियों पर पैदल चलना) करके पहुंचेगी।

राज्य पुलिस के प्रवक्ता डीआईजी निलेश आनंद भरने ने कहा, अगर वाकई में कोई झील बनी है तो इसकी जांच के लिए यह टीम झील की असल जगह को देखने के लिए ट्रैक करेगी और इस संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

शीर्ष सरकारी अधिकारियों ने कहा कि क्षेत्र के कुछ उपग्रह (सैटेलाइट) तस्वीरों ने भी झील के निर्माण का संकेत दिया है।

सरकार ने यहां के वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों से भी ऋषिगंगा घाटी में झील निर्माण पर एक विस्तृत रिपोर्ट बनाने के लिए एक अलग टीम का गठन करने के लिए कहा है।

चमोली जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आई खबरों में कहा गया है कि ऋषिगंगा का प्रवाह गुरुवार दोपहर से अचानक बढ़ गया है। इसके बाद एहतियात के तौर पर संवेदनशील इलाकों में तलाशी अभियान पर भी वितरित असर पड़ा है। अधिकारियों को एनटीपीसी के 520 मेगावॉट की तपोवन-विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना की सुरंग के अंदर भी तलाशी अभियान स्थगित करना पड़ रहा है। जब सैलाब आया था तो सुरंग के आसपास के क्षेत्र में काफी मलबा और पानी पहुंच गया था। इस सुरंग में कई लोगों के फंसे होने की संभावना है, जिन्हें निकाले जाने को लेकर कई दिनों से अभियान चल रहा है। ऋषिगंगा धौलीगंगा नदी की एक सहायक नदी है, जिस पर तपोवन परियोजना का काम चल रहा है।

गुरुवार सुबह से ही ऋषिगंगा परियोजना के आसपास के ग्रामीण आपदा के बाद उनके इलाके में झील का निर्माण होने को लेकर काफी परेशान हैं और वह इस बारे में पता लगाने के लिए जिला प्रशासन को शिकायत कर रहे हैं।

रैणी गांव के ग्राम प्रधान भगवान सिंह ने कहा, हमारे रैणी गांव के लोग इस झील के बारे में सुनकर बहुत डर गए हैं। हमें उम्मीद है कि प्रशासन इस संबंध में आवश्यक कदम उठाएगा।

ऋषिगंगा नदीं के पास स्थित सलधर गांव के आशीष रावत ने कहा, हमारी रातों की नींद हराम हो गई है।

ग्राम प्रधान ने कहा कि रैणी में कुछ लोग, जो आपदा से बुरी तरह प्रभावित हैं, इतने भयभीत हैं कि वे अपने घरों में नहीं जा रहे हैं और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सर्द रातें गुजार रहे हैं।

कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने भी सरकार से झील निर्माण मुद्दे पर शीघ्र कदम उठाने को कहा है।

चमोली जिले में दो जलविद्युत परियोजनाओं को प्रभावित करने वाले रविवार सुबह के जलप्रलय के बाद से 200 से अधिक लोग लापता हैं।

–आईएएनएस

एकेके/एएनएम

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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