शैक्षिक सहयोग से भारत-चीन संबंध मजबूत होगा : कुलपति विद्युत चक्रवर्ती

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बीजिंग, 29 जून (आईएएनएस)| विश्वभारती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विद्युत चक्रवर्ती पिछले सप्ताह चीन आए, जहां उन्होंने चीन के अनेक विश्वविद्यालयों का दौरा किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि शैक्षिक सहयोग से भारत-चीन संबंध मजबूत होगा। पश्चिम बंगाल के शहर शान्ति निकेतन में बसा विश्वभारती विश्वविद्यालय भारत के केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना साल 1921 में रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। इसकी स्थापना के पीछे रवींद्रनाथ टैगोर की सोच ऐसे शिक्षण संस्थान बनाने की थी, जहां पूरी दुनिया की शिक्षा मिल सके। साथ ही साल 1937 में भारत और चीन को एक सूत्र में बांधने के लिए चीना भवन की स्थापना की गई।

प्रो. विद्युत चक्रवर्ती ने चाइना रेडियो इंटरनेशनल (सीआरआई) के साथ खास बातचीत में कहा कि उन्होंने सबसे पहले दक्षिण चीन के युन्नान प्रांत में स्थित दो विश्वविद्यालयों युन्नान विश्वविद्यालय और युन्नान मिंजू विश्वविद्यालय का दौरा किया और दोनों विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षिक सहयोग और आदान-प्रदान को और अधिक मजबूत करने पर बातचीत की। उन्होंने बताया कि विश्वभारती विश्वविद्यालय का युन्नान के दोनों विश्वविद्यालयों के साथ पहले से ही सहयोग चल रहा है, और दोनों विश्वविद्यालयों के शिक्षक-छात्र एक-दूसरे के विश्वविद्यालयों का दौरा करते हैं।


प्रो. विद्युत चक्रवर्ती ने कहा कि उनके विश्वविद्यालय का पेइचिंग विश्वविद्यालय के साथ भी सहयोग है, लेकिन अभी शांगहाई के फुतान विश्वविद्यालय के साथ कोई सहयोग नहीं है, जिसके लिए उन्होंने फुतान विश्वविद्यालय के कुलपति के साथ बैठक की। इसके अलावा उन्होंने अनेक विशेषज्ञों, विद्वानों से भी मुलाकात की।

चक्रवर्ती ने कहा, “विश्वभारती विश्वविद्यालय में कई विभाग जैसे संगीत विभाग, कला और शिल्प विभाग, दर्शन विभाग और आर्थिक राजनीति विभाग बहुत मजबूत हैं और दुनिया में इन विभागों का कोई सानी नहीं है। इन विभागों में जाने-माने विशेषज्ञ हैं। अभी विश्वभारती विश्वविद्यालय और चीनी विश्वविद्यालयों के बीच इन विभागों में सहयोग की बातचीत चल रही है।”

उन्होंने कहा कि कामना है कि चीन और भारत की महान संस्कृति एक-दूसरे के करीब आए और दुनिया को दिखा दें कि चीन और भारत के पास जो संसाधन हैं, वह कम नहीं हैं।


रविंद्रनाथ टैगोर ने साल 1937 में चीन के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए चीना भवन की स्थापना की। अब यह भवन विश्वविद्यालय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। चीना भवन के बारे में विश्वभारती विश्वविद्यालय के कुलपति विद्युत चक्रवर्ती ने कहा, “न जाने चीना भवन का दायरा इतना छोटा कैसे हो गया। अब इसे केवल चीनी भाषा सीखने का ही केंद्र समझा जाने लगा है, जबकि इस भवन की स्थापना चीन का समाज, राजनीति, इतिहास, संस्कृति, दर्शन आदि जानने और समझने के लिए किया गया था।”

उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोगों को लगता है कि चीना भवन ही विश्वभारती विश्वविद्यालय है, जबकि यह गलत है। विश्वभारती विश्वविद्यालय में और भी अनेक मजबूत विभाग हैं।

प्रो. विद्युत चक्रवर्ती ने आगे कहा, “पांच दशक पहले देखें तो चीना भवन का फोकस चीनी भाषा में नहीं था, उसका फोकस चीन के इतिहास, समाज, संस्कृति, राजनीति आदि में था। लेकिन अब यह एक चीनी भाषा का स्कूल बन गया है।” उन्होंने कहा कि वे इस नजरिया में परिवर्तन ला रहे हैं और चीना भवन के दायरे को विस्तृत कर रहे हैं। न केवल चीनी भाषा का अध्ययन होगा, बल्कि चीन से संबंधित विभिन्न आयामों को पढ़ा और समझा जाएगा। इससे इस भवन को नई दिशा मिलेगी।

(साभार चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पेइचिंग)

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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