शिवसेना ने सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का पर प्रतिबंध की मांग की (लीड-1)

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मुंबई, 1 मई (आईएएनएस)| शिवसेना ने बुधवार को धर्म विशेष की महिलाओं द्वारा बुर्का के उपयोग पर प्रतिबंध की मांग की है। शिवसेना ने श्रीलंकाई में ईस्टर संडे पर आतंकवादी हमलों के बाद वहां की सरकार द्वारा भी ऐसा ही नियम लाने की योजना बनाए जाने का हवाला दिया है। हमलों में 250 लोगों की मौैत हो गई थी।

शिवसेना ने कहा कि पार्टी इससे मिलते-जुलते प्रतिबंध का पहले भी प्रस्ताव दे चुकी है। जब यह रावण की लंका (श्रीलंका) में आ चुका है, तो यह राम की अयोध्या में कब आएगा. हमारा (प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी से यह प्रश्न है।


पार्टी ने अपने मुखपत्रों ‘सामना’ और ‘दोपहर का सामना’ के संपादकीय में कहा, “इस प्रतिबंध की अनुशंसा आपातकालीन उपाय के तौर पर की गई है जिससे कि सुरक्षा बलों को किसी को पहचानने में परेशानी ना हो। नकाब या बुर्का पहने हुए लोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं।”

संपादकीय के अनुसार, कोई महात्मा फूले और शाहू महाराज मुस्लिमों के बीच पैदा नहीं हुआ है और ना ही उन्हें बनने दिया जाता है जिससे शाहबुद्दीन, आजम खान, ओवैसी भाइयों और अबु आसिम आजमी जैसे सनकी लोगों के फायदे के लिए काम किया है।

अगर ऐसे धार्मिक रिवाज या प्रथा राष्ट्रीय सुरक्षा में दखल देते हैं, तो इन्हें तत्काल बंद होना चाहिए और मोदी को यह अभी करना होगा।


शिवसेना ने कहा, “इसके लिए सर्जिकल स्ट्राइक जितनी हिम्मत चाहिए। श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने रातभर में सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का, पर्दा या नकाब लगाने पर प्रतिबंध का आदेश दे दिया। श्रीलंकाई राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने बहुत हिम्मत और कठोरता का काम किया है।”

संपादकी में इसने आरोप लगाया कि कई मुस्लिमों को उनके धर्म (इस्लाम) का सही मतलब नहीं पता और उन्होंने इसे बुर्का, बहुविवाह, तीन-तलाब और परिवार नियोजन के प्रतिरोध जैसी परंपराओं और रीति-रिवाजों में भ्रमित कर दिया है।

शिवसेना ने कहा, “जब उनके रिवाजों के खिलाफ कोई आवाज उठी है, तो वे तुरंत इस्लाम खतरे में है का रोना शुरू हो गया है, और इससे प्रतीत होता है कि मुस्लिमों में राष्ट्रीयता के आगे धर्म को वरीयता दी जाती है। मुस्लिम महिलाएं इस गलत धारणा के तहत बुर्का या पर्दा का समर्थन कर रही हैं कि ऐसा कुरान में लिखा है।”

मुखपत्र के अनुसार, “इससे पहले तुर्की में भी महिलाओं के बुर्का तथा पुरुषों के दाढ़ी रखने पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है, विशेष रूप से जब कमाल पाशा को जब यह संदेह हुआ कि इनका उपयोग राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में उपयोग हो रहा है। इससे यह सिद्ध होता है कि बुर्का-दाढ़ी का इस्लाम से कोई संबंध नहीं है।”

शिवसेना ने कहा कि हाल ही में लिट्टे के आतंक से मुक्त हुआ देश (श्रीलंका) अब भारत, इंग्लैंड, फ्रांस, न्यूजीलैंड की तरह इस्लामिक आतंकवाद के चंगुल में है।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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