शुरुआती डायग्नोसिस और प्रबंधन से कैंसर से बचाव संभव : चिकित्सक

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 नई दिल्ली, 3 फरवरी (आईएएनएस)| चिकित्सकों का कहना है कि कैंसर भारत में सबसे तेजी से बढ़ने वाली बीमारी बन गया है, जिसके पीछे गलत जीवनशैली एक बड़ा कारण है हालांकि शुरुआती डायग्नोसिस और प्रबंधन से कैंसर से बचाव और उबरना संभव है।

 चार फरवरी यानी विश्व कैंसर दिवस पर इस साल की थीम ‘आई एम एंड आई विल’ रखी गई है, जिसका मतलब मरीज प्रबल इच्छाशक्ति से इस जानलेवा रोग को मात दे सकता है।


चिकित्सकों का कहना है कि जागरूकता के अभाव में अपर्याप्त डायग्नोसिस होने के कारण कैंसर के 50 प्रतिशत मरीज तीसरे या चौथे चरण में पहुंच जाते हैं जिस वजह से मरीज के बचने की संभावना बहुत कम रह जाती है। एक तरफ जहां पुरुषों में प्रोस्टेट, मुंह, फेफड़े, पेट और बड़ी आंत का कैंसर आम है तो वहीं महिलाओं में ब्रेस्ट और ओवरी कैंसर के ज्यादातर मामले देखने को मिलते हैं।

धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के सीनियर कंसलटेंट डॉ. अतुल कुमार श्रीवास्तव ने कहा, “इनका सबसे बड़ा कारण बदलता लाइफस्टाइल, प्रदूषण, खानपान में मिलावट और तंबाकू या धूम्रपान के सेवन का बढ़ता चलन है।”

कैंसर के लक्षणों की पहचान कैसे की जाए, इस पर डॉ. अतुल कुमार श्रीवास्तव ने कहा, “शरीर के किसी हिस्से में अनावश्यक गांठ हो जाए या किसी अंग से अकारण रक्तस्राव होने लगे तो तत्काल परामर्श लेने और जांच कराने की जरूरत है। शरीर के किसी अंग में वृद्धि या त्वचा के रंग में बदलाव इसके शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।”


उन्होंने कहा, “यूरिन और ब्लड टेस्ट कराने पर जब किसी तरह की असामान्य स्थिति सामने आती है तो यह कैंसर का कारण बन सकता है। ऐसी स्थिति में कॉमन ब्लड टेस्ट के दौरान श्वेत रक्त कोशिकाओं, डब्ल्यूबीसी के प्रकार या संख्या में भी अंतर आ सकता है। इसके आलावा सीटी स्कैन, बोन स्कैन, एमआरआई, पीईटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड व एक्स-रे का विकल्प भी उपलब्ध हैं। लेकिन कैंसर की निर्णायक पुष्टि के लिए बायोप्सी टेस्ट ही एकमात्र तरीका है। इसमें कोशिकाओं का सैंपल लेकर जांच की जाती है।”

एक्शन कैंसर हॉस्पिटल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ जे.बी.शर्मा का कहना है, “कैंसर के खतरनाक मामलों से बचने और उबरने का एकमात्र उपाय नियमित जांच, स्वस्थ लाइफस्टाइल, धूम्रपान त्यागना, शुद्ध और पौष्टिक खानपान, फलों-सब्जियों का ज्यादा सेवन, स्वच्छ आबोहवा, व्यायाम और नियमित दिनचर्या ही है।”

उन्होंने कहा, “विभिन्न वेजीटेबल, फ्रूट, नटस, होल ग्रेन और बीन्स से भरपूर प्लांट बेस्ड संतुलित डाइट कैंसर से लड़ने में काफी हद तक मददगार हो सकती है। प्लांट बेस्ड फूड में पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं जो हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। फलों में एंटीऑक्सीडेंट जैसे बेटा केरोटीन, विटामिन सी, विटामिन ई और सेलेनियम होते हैं। ये विटामिन कैंसर से बचाव करते हैं और शरीर में सेल्स को बेहतर ढंग से फंक्शन करने में मदद करते हैं।”

कैंसर के उपचार के बारे में बताते हुए चिकित्सकों ने कहा, “इसके उपचार के कई प्रकार हैं। लेकिन इलाज कैंसर के अनुसार ही किया जाता है। जैसे कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी, टारगेटिड थेरेपी, हार्मोन थेरेपी, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट, प्रिसिशन मेडिसिन आदि।”

सलूशन मेडिकवर फर्टिलिटी की क्लिनिकल डायरेक्टर एवं सीनियर कंसल्टेंट फर्टिलिटी डॉ. श्वेता गुप्ता का कहना है, “कैंसर के मामले तेजी से बढ़े हैं लेकिन आधुनिक चिकित्सा की बदौलत इससे बचने की दर में भी इजाफा हुआ है। हालांकि कैंसर का इलाज कराने से पिता या माता बनने की क्षमता यानी प्रजनन क्षमता कमजोर पड़ जाती है। सर्जरी कीमोथेरापी या रेडियोथेरापी जैसे उपचार से ओवेरियन रिजर्व या स्पर्म घट सकते हैं।”

उन्होंने कहा, “ऐसे लोग अगर कैंसर का इलाज कराने के बाद समय पर काउंसिलिंग और इलाज शुरू करा लें तो उनमें फर्टिलिटी बचाए रखने की संभावना अधिक रहती है। पुरुषों के लिए जहां स्पर्म बैंक में सुरक्षित रखने का विकल्प है, वहीं महिलाओं के लिए अंडाणु को फ्रीज रखना उपयुक्त विकल्प है।”

डॉ. श्वेता गुप्ता ने कहा, “ये सुविधाएं किसी फर्टिलिटी सेंटर में मिल जाती हैं जहां इलाज शुरू कराने से पहले संपर्क किया जा सकता है। इसके अलावा अगर स्पर्म बहुत ही कम रहे तो डोनर समूहों जैसे विकल्पों पर भी विचार किया जा सकता है। अनुकूल परिणाम पाने के लिए ऑन्कोलॉजिस्ट फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट, फैमिली फिजीशियन, साइकोलॉजिस्टन, यूरोलॉजिस्ट, गायनकोलॉजिस्ट, काउंसलर जैसी बहुविभागीय टीम से संपर्क किया जा सकता है।”

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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