सीओए 10 राज्यों में प्रेक्षक नियुक्त करेगी, बीसीसीआई और राज्य संघ नाराज

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 नई दिल्ली, 3 सितम्बर (आईएएनएस)| भारत में क्रिकेट के संचालन के लिए जिम्मेदार सर्वोच्च अदालत द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) ने 10 राज्यों में प्रेक्षक नियुक्त करने का फैसला किया है, जो बीसीसीआई के राज्य संघों के कामकाज पर नजर रखेंगे और साथ ही उन्हें क्रिकेट संबंधी मामले में मार्गदर्शन देंगे।

 सीओए के इस कदम से कुछ राज्य संघ नाराज हैं और उनमें से कुछ ने बोर्ड की नीयत पर सवाल खड़े किए हैं।


जिन राज्यों में प्रेक्षक नियुक्त किए जाने हैं उनमें, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, सिक्किम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, बिहार, चंडीगढ़, उत्तराखंड और पुडुचेरी के नाम शामिल हैं।

सीओए ने इन सभी राज्य संघों को ई-मेल भेजा है। इस मेल की एक प्रति आईएएनएस से पास भी है। मेल के मुताबिक पर्यवेक्षकों को छह बिंदु बताए गए हैं, जिन पर उन्हें काम करना है।

यह छह बिंदु हैं।


1. राज्य संघों को क्रिकेट प्रशासन संबंधी मागदर्शन देना।

2. क्रिकेट संचालन टीमों को स्थानीय क्रिकेट गतिविधियों के लिए मार्गदर्शन देना।

3. चयन समिति की बैठक पर नजर रखना।

4. लड़कों और लड़कियों के लिए यूथ डेवलपमेंट कार्यक्रम बनाने में संघ की मदद करना।

5. राज्य संघों और बीसीसीआई के मध्य क्रिकेट संचालन के बीच समन्वयक का काम करना।

6. राज्य संघों और बीसीसीआई के बीच वित्तीय पर्यावेक्षक का काम करना।

इन पर्यवेक्षकों के नाम जल्द ही घोषित किए जाएंगे लेकिन बीसीसीआई के सीनियर अधिकारी ने समिति की मंशा पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि समिति नए संविधान से आगे जाकर काम कर रही है।

उन्होंने कहा, “इस कॉलेजियम की जरूरत नहीं है। सीओए ने अपने आप को सर्वोच्च अदालत समझ रखा है। सिर्फ इसलिए की अदालत राम जन्म भूमि विवाद में व्यस्त है, सीओए को लगा कि यह सही समय है जब वह लगातार सर्वोच्च अदालत के ऊपर काम कर सकती है।”

उन्होंने कहा, “कुछ सप्ताहों से इसी तरह के फैसले लिए गए हैं।”

अधिकारी ने कहा, “बीसीसीआई का संविधान सर्वोच्च अदालत ने बनाया है, उस संविधान के किस प्रावधान के मुताबिक सीओए यह कर रही है? वह अदालत के आदेश के साथ खेल रहे हैं और इसके लिए वही जिम्मेदार होंगे।”

राज्य संघ के एक अधिकारी ने भी यही बात कही और कहा कि ऐसा लग रहा है कि सीओए चुनावों पर असर डालना चाह रही है।

उन्होंने कहा, “इस बात से साफ पता चल रहा है कि सीओए सिर्फ बीसीसीआई के चुनावों पर असर डालना चाह रही है। पहले वो इस तरह के फैसले ले रहे हैं जिनके तहते गैरकानूनी तरीके से संघों को चुनावों में हिस्सा लेने से रोका जाए। उन्होंने यह सब अदालत के आदेश के खिलाफ किया है। इसके बाद उन्होंने बीसीसीआई के खाते में ज्यादा वोटर इकट्ठा करने का फैसला किया वो भी इस बात को भलीभांती जानते हुए कि वह अदालत के आदेश के खिलाफ है। इसके बाद उन्होंने अदालत के आदेश को लेकर सफाई पेश की जो सिर्फ सर्वोच्च अदालत ही कर सकती है।”

अधिकारी ने कहा, “अब यह फैसला, इस बात से साफ होता है कि वह संघों के पर्यावेक्षक नियुक्त करके गैरकानूनी तरीके से आठ-दस वोटों पर असर डालना चाह रहे हैं। वह कौन से नियम का पालन कर रहे हैं? वह अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि वह चाहते हैं कि कुछ चुनिंदा लोग ही बीसीसीआई के अधिकारी बनें और अगर ऐसा होता है तो सर्वोच्च अदालत के आदेश का मजाक क्यों बनाया जा रहा है? उन्हें सीधे तौर पर अपने मुताबिक अधिकारी नियुक्त कर देने चाहिए।”

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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