सरकार ने 2 साल में किसानों को बांटे 11.69 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड

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नई दिल्ली, 5 फरवरी (आईएएनएस)| भूमि की उर्वराशक्ति बनाए रखने के लिए शुरू की गई मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के दूसरे चरण में बीते दो साल के दौरान 11.69 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को बांटा गया है और इससे रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल में 10 फीसदी कमी आई है। यह जानकारी बुधवार केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा दी गई। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि जमीन में पोषक तत्वों की कमी की समस्या को दूर करने के मोदी सरकार ने वित्तवर्ष 2014-15 के दौरान मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की थी और अब इस योजना का लाभ मिलने लगा है।

मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के निर्देश पर मंत्रालय द्वारा किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड बांटा जा रहा है, जिससे किसानों को मृदा स्वास्थ्य के पैरामीटर जानने में मदद मिली है और इससे मिट्टी में पोषक तत्वकों के सही इस्तेमाल से इसकी उर्वराशक्ति में सुधार हुआ है।


नेशनल प्रोडक्टिविटी काउंसिल (एनपीसी) द्वारा करवाए गए एक अध्ययन के मुताबिक, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के सुझावों पर अमल करने से रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल में आठ से 10 फीसदी की कमी आई है। साथ ही उत्पादकता में पांच से छह फीसदी का इजाफा हुआ है।

केंद्र सरकार की मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के पहले चरण (वर्ष 2015-2017) के दौरान किसानों को 10.74 करोड़ कार्ड बांटे गए जबकि दूसरे चरण (2017-19) के दौरान 11.69 करोड़ कार्ड बांटे गए हैं।

कृषि मंत्रालय ने बताया कि चालू वित्तवर्ष में ‘आदर्श ग्राम विकास’ का एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, जिसके तहत किसानों की साझेदारी में खेती योग्यभूमि के नमूने लेकर उसका परीक्षण करने के कार्यक्रम को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इस परियोजना के तहत मिट्टी के नमूनों का संग्रह करने और प्रत्येक कृषि जोत भूमि का विश्लेषण करने के लिए आदर्श ग्राम का चयन किया गया है। इस योजना के तहत 2019-20 में 13.53 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए हैं।


मंत्रालय ने बताया कि इस योजना के तहत मृदा स्वस्थ्य परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए राज्यों को 429 अचल प्रयोगशाला, 102 नई चल प्रयोगशाला और 8,752 छोटी प्रयोशाला, 1,562 ग्रामीण स्तर की प्रयोगशालाएं बनाने के साथ-साथ 800 मौजूदा प्रयोगशालाओं के संवर्धन की मंजूरी दी गई है।

इस योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा भूमि की रचना का विश्लेषण हर दो साल पर एक बार किया जाता है, ताकि जमीन में पोषक तत्वों में सुधार करने के कदम उठाए जा सकते हैं।

मंत्रालय ने बताया कि मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना किसानों के लिए वरदान साबित हुई है, क्योंकि इससे गांव के युवाओं को रोजगार भी मिल रहा है। इस योजना के तहत 40 साल की उम्र के ग्रामीण युवा व किसान मृदा स्वास्थ्य प्रयोगशाला स्थापित करके मिट्टी के स्वास्थ्य का परीक्षण कर सकते हैं।

एक प्रयोगशाला स्थापित करने की लागत पांच लाख रुपये तक आती है जिसकी 75 फीसदी रकम केंद्र व राज्य सरकारों की ओर से मुहैया करवाई जा सकती है। यह प्रावधान स्वयं सहायता समूहों, किसान सहकारी सोसायटी, किसान समूहों और कृषि उत्पादन संगठनों पर भी लागू होता है।

इच्छुक युवा किसान व संगठन उपनिदेशक (कृषि)/संयुक्त सचिव (कृषि) के पास स्वयं या संबद्ध जिला के कार्यालयों के माध्यम से अपने प्रस्ताव दे सकते हैं।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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