सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय मेले में चंबा का शिव पूजन, कांगड़ा का झमाकड़ा

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 नई दिल्ली, 4 फरवरी (आईएएनएस)| सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले में मंगलवार को चंबा जिला का शिव पूजन, कांगड़ा का झमाकड़ा, लाहौल-स्पिति की बौद्ध संस्कृति, शिमला की नाटी, सिरमौर का ठोडा व परात नृत्य, मंडी जिला की लुड्डी, किन्नौर की कायंग नाटी तथा कुल्लू जिला की देव संस्कृति को दर्शाती झलकियां देखी गईं।

  मंगलवार का दिन हिमाचल की लोक संस्कृति के नाम रहा। इस दौरान नृत्य नाटिका के माध्यम से हिमाचल से आए कलाकारों ने प्रदेश की सांस्कृतिक झलक को एक सूत्र में बांधकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।


प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण हिमालय की गोद में बसे हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहलाने का भी गौरव प्राप्त है तथा राज्य के सभी 12 जिलों की अपनी अलग-अलग संस्कृति, परंपरा व रीति रिवाज हैं। इन्हीं रीति-रिवाजों व संस्कृति का प्रदर्शन सूरजकुंड में किया गया।

हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री विपिन सिंह परमार ने सूरजकुंड मेले में थीम स्टेट हिमाचल की सांस्कृतिक संध्या का दीप जलाकर शुभारंभ किया। इस अवसर पर हिमाचल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बैजनाथ के विधायक मुलखराज प्रेमी व नगरोटा बगवां विधानसभा क्षेत्र के अरुण मेहरा भी उपस्थित रहे।

हिमाचल सरकार में उपनिदेशक मालिनी ने कहा, “34वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड शिल्प मेले में मंगलवार को थीम स्टेट हिमाचल प्रदेश द्वारा आयोजित सांस्कृतिक संध्या में मेले का वातावरण पूरी तरह हिमाचल की बहुरंगी संस्कृति से रंग गया।”


हिमाचल के विभिन्न जिलों की विविधता भरी संस्कृति को यहां सूरजकुंड मेले के मंच पर मनमोहक नृत्य नाटिका के जरिए प्रस्तुत किया गया। पारंपरिक वेशभूषा व वाद्य यंत्रों से सुसज्जित नृत्य नाटिका में समस्त प्रदेश की झलक को दिखलाया गया और इस दौरान पूरे पंडाल का वातावरण हिमाचल मय हो गया। नृत्य नाटिका को देखने के लिए दर्शकों और पर्यटकों का भारी हुजूम उमड़ा।

पूनम शर्मा द्वारा निर्मित व निर्देशित इस नृत्य नाटिका में हिमाचल की गौरवमयी संस्कृति, लोकगान, लोकनृत्य को दर्शाने के लिए विभिन्न जिलों के 140 कलाकारों ने सामूहिक प्रस्तुति देकर हिमाचल प्रदेश की समृद्ध संस्कृति की विस्तृत जानकारी दी।

हिमाचल प्रदेश के धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से निर्मित इस नृत्य नाटिका में प्राकृतिक सौंदर्य व जीवंत संस्कृति को बहुत ही खूबसूरती से दिखाया गया।

लगभग एक घंटे की अवधि की इस नृत्य नाटिका में चंबा जिला का शिव पूजन, कांगड़ा का झमाकड़ा, लाहौल-स्पीति की बौद्ध संस्कृति, शिमला की नाटी, सिरमौर का ठोडा व परात नृत्य, मंडी जिला की लुड्डी, किन्नौर की कायंग नाटी तथा कुल्लू जिला की देव संस्कृति को दर्शाती इस नृत्य नाटिका के माध्यम से प्रदेश की सांस्कृतिक झलक को एक सूत्र में बांधकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

पहली फरवरी को शुरू हुआ सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला 16 फरवरी, 2020 तक चलेगा।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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