दुनिया भर में विभिन्न संस्कृतियां देखने को मिलती हैं। हर एक संस्कृति का अपना महत्व, रहन- सहन, वेशभूषाआदि है, जो उसे दूसरी संस्कृतियों से भिन्न बनाती है। दुनिया भर की संस्कृतियों को एक साथ मनाने के लिए ‘वर्ल्ड एथनिक डे’ (World Ethnic Day) मनाया जाता है। हर साल की 19 जून को इस दिन के तौर पर मनाया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र ने 19 जून को ‘वर्ल्ड एथनिक डे’ के तौर पर घोषित किया, ताकि लोग अपनी संस्कृति से जुड़े रहे। यह विभिन्न देशों की संस्कृतियों को एक साथ मनाने का दिन है। हमारी विरासत, सभ्यता, कला और संस्कृति एक दूसरे से काफी अलग है। इन्हीं के बारे में जागरूकता फैलाने और सम्मान करने के लिए यह दिन मनाया जाता है। इस दिन लोग अपनी सांस्कृतिक परिधान पहन कर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं।
दुनिया भर में चाहे कितनी भी संस्कृतियां हो, लेकिन संस्कृतियों के मामले में भारत सबसे धनी हैं। भारत की खासियत उसकी संस्कृति ही है, जो कई संस्कृतियों से मिल कर बनी है। यह रंगीन, सुंदर और अद्भुत है। यहां के हर इलाके का रहन सहन खास और अलग है। खाने से लेकर पहनावे तक, भारत में सब के कई तौर तरीके हैं। एक साड़ी की ही बात की जाए तो इसे कई प्रकार से पहना जाता है। इस वर्ल्ड एथनिक डे आइये जानते हैं भारत के कुछ पहनावों के बारे में।
फ़ेरन
फ़ेरन कश्मीर की पारंपरिक पोशाक है, जो औरत और मर्द दोनों पहनते हैं। यह एक लंबा कोट होता है, जो ऊन से बना होता है। कश्मीर की यह पोशाक ठंड में पहनी जाती है।
थेल/ ठेल
हरियाणा की यह पारंपरिक पोशाक जाट समुदाय के लोग पहनते हैं। इस पोशाक में घाघरा चमकदार भारी कपड़े का बना होता है वहीं, इसके साथ चोली और मनमोहक प्रिंटेड ओढ़नी होती है। आगे चल कर आराम के लिए घाघरा सूती कपड़े का बनाया जाने लगा और सिफोन, जोरजट आदि के दुपट्टे ओढ़े जाते हैं।
धोती
भारत के सबसे प्रमुख पारंपरिक परिधानों में से धोती एक है। इसे पूरे भारत में पहना जाता है। यह लुंगी से अलग होती है। अलग- अलग राज्य में धोती पहनने का तरीका अलग है। इसे केरल में मुंडू, महाराष्ट्र में धोतार, पंजाबी में लाचा और उत्तर प्रदेश और बिहार में मर्दानी कहा जाता है।
इसे अक्सर कुर्ते के साथ पहना जाता है। धोती सूती कपड़े की होती है, लेकिन आजकल कई प्रकार की धोती मिलने लगी हैं।
अचकन
इस पारंपरिक पोशाक की लंबाई शेरवानी की तरह घुटनों तक होती है। यह एक जैकेट होती है, जो बहुत ही हल्के कपड़े की बनती है। लंबी आस्तीन वाली इस अचकन में बायीं तरफ एक पॉकेट होती है। उत्तर भारत की यह पोशाक अक्सर शाही अवसरों पर पुरुषों द्वारा पहनी जाती है।