नई दिल्ली, 15 नवंबर (आईएएनएस)| दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली पुलिस के दो निलंबति पुलिस अधिकारियों को अंतरिम सुरक्षा प्रदान की है। ये दोनों पुलिस अधिकारी कथित तौर पर तीस हजारी परिसर में हुई हिंसा में कथित तौर पर शामिल थे। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. एन पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की अध्यक्षता वाली हाईकोर्ट की पीठ ने निर्देश दिया कि सहायक उपनिरीक्षकों (एएसआई) पवन और कामता प्रसाद के खिलाफ कोई ‘कठोर कार्रवाई’ नहीं की जाएगी।
पुलिसकर्मियों को अंतरिम सुरक्षा अगली सुनवाई यानी 23 दिसंबर तक के लिए दी गई है।
सुनवाई के दौरान दोनों निलंबित पुलिसकर्मियों की तरफ से पेश हुईं राजदीपा बेहुरा ने कहा, “मैं बस सीमित सुरक्षा की मांग करना चाहती हूं। मेरा अनुरोध है कि जब तक मामले की न्यायिक जांच पूरी न हो जाए, तब तक याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तार न किया जाए।”
उन्होंने आगे कहा, “पुलिस और वकील समाज के दो पैर हैं, हमें मिलजुल कर प्रेम के साथ रहना होगा। दूसरा प्रेयर एसीएमएम का है, जिसमें कहा गया है कि स्थिति रपट दाखिल की जाए, लेकिन प्रोटोकॉल के अनुसार, कोई निचली अदालत तबतक कोई आदेश पारित नहीं कर सकती, जबतक कि न्यायिक जांच पूरी न हो जाए।”
बेहुरा के तर्क का विरोध करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहित माथुर ने कहा कि पूरी शिकायतें दर्ज प्राथमिकियों में प्रारंभिक निष्क्रियता की अवस्था में हैं।
माथुर ने कहा, “पुलिस मामले की सही तरीके से सुनवाई नहीं कर रही।”
एएसआई पवन कुमार और कामता प्रसाद ने मामले की पूरी जांच होने तक अपने खिलाफ किसी तरह की कठोर कार्रवाई न किए जाने का निर्देश देने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
याचिकाकर्ताओं ने अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी जितेंद्र सिंह द्वारा मामले में पारित आदेश को स्थगित करने और उसे रद्द करने की भी मांग की है।