विलफुल डिफाल्टर्स पर विपक्ष का आरोप भ्रामक, सरकार भ्रष्टाचार रोकने को प्रतिबद्ध : वित्तमंत्री

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नई दिल्ली, 29 अप्रैल (आईएएनएस)। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने विलफुल डिफाल्टर्स के कर्ज को बैंकों द्वारा बट्टा खाते में डालने के मुद्दे को उठाने की विपक्ष की कोशिश को भ्रामक करार देते हुए कहा है कि मोदी सरकार वास्तव में वित्तीय प्रणाली की सफाई करने और विलफुल डिफाल्टर्स के खिलाफ कार्रवाई करने में जुटी है और भ्रष्टाचार व क्रोनिज्म समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।

सीतारमण ने मंगलवार देर रात ट्वीट किया, “कांग्रेस और राहुल गांधी को आत्ममंथन करना चाहिए कि वे प्रणाली को साफ करने में एक रचनात्मक भूमिका क्यों नहीं निभा पाते हैं। कांग्रेस ने न तो सत्ता में रहते हुए भ्रष्टाचार और क्रोनिज्म को रोकने में कोई प्रतिबद्धता दिखा पाई और न विपक्ष में रह कर ही।”


वित्तमंत्री ने इस मुद्दे पर एक श्रंखलाबद्ध ट्वीट में कांग्रेस पार्टी पर जनता को सरासर भ्रमित करने का आरोप भी लगाया।

वित्तमंत्री ने कहा, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेताओं की आज की कोशिश विलफुल डिफाल्टर्स, बुरे ऋण और बट्टा खाता पर भ्रमित करने की है। वर्ष 2009-10 और 2013-14 के बीच शेड्यूल्ड कॉमर्शियल बैंकों ने 1,45,226.00 रुपये बट्टा खाते में डाल दिया था। उम्मीद है कि राहुल गांधी ने डॉ. मनमोहन सिंह से इस बट्टा खाता के बारे में परामर्श किया होगा।”

सीतारमण ने इस बात के ब्योरे दिए हैं कि बैंक डिफाल्टरों के साथ किस तरह पेश आते हैं। उन्होंने कहा कि आरबीआई द्वारा निर्धारित चार वर्षीय प्रावधान चक्र के अनुसार एनपीए के लिए प्रावधान किए गए। प्रावधान की प्रक्रिया पूरी हो जाने पर बैंकों ने एनपीए को बट्टा खाते में डाल दिया, लेकिन कर्जदारों से वसूली की प्रक्रिया जारी रखे हुए है। उन्होंने ट्वीट किया, “कोई कर्ज माफ नहीं किया गया है।”


उन्होंने ट्वीट किया, “जिन डिफाल्टरों ने भुगतान की क्षमता के बावजूद कर्ज का पुनर्भुगतान नहीं किया, बल्कि धन का गबन किया, या जमानत के रूप में रखी गई संपत्ति का बैंकों की अनुमति के बगैर निपटारा कर दिया, उन्हें विलफुल डिफाल्टर्स की श्रेणी में रखा गया है। ये वे रसूखदार लोग हैं, जिन्होंने संप्रग की ‘फोन बैंकिंग’ से लाभ उठाया।”

निर्मला ने पूर्व में आरबीआई गवर्नर द्वारा कही गई बात का भी जिक्र किया। रघुराम राजन ने कहा था, “बड़ी संख्या में बुरे लोन 2006-2008 के दौरान पैदा हुए। कई सारे लोन अच्छे संपर्क वाले प्रमोटरों को दिए गए, जिनका कर्ज डिफाल्ट करने का इतिहास रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक लगातार प्रमोटरों को कर्ज देते रहे, जबकि निजी क्षेत्र के बैंक बाहर निकलते रहे। आरबीआई को कर्ज देने की गुणवत्ता के बारे में अधिक सतर्क होना चाहिए था।”

वर्ष 2015 से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से भारत सरकार ने कहा था कि विलफुल डिफाल्ट के लिए 50 करोड़ रुपये से अधिक के सभी एनपीए को चेक किया जाए।

नीरव मोदी के मामले का जिक्र करते हुए सीतारमण ने ट्वीट किया कि 2,387 करोड़ रुपये मूल्य की चल-अचल संपत्तियां कुर्क/जब्त की गईं। (1,898 करोड़ रुपये की कुर्की और 489.75 करोड़ रुपये की जब्ती।) “इसमें 961.47 करोड़ रुपये की विदेशों में की गई कुर्की। लक्जरी वस्तुओं की 53.45 करोड़ रुपये में नीलामी शामिल है। वह ब्रिटेन में जेल में है।”

मेहुल चोकसी के मामले में 1936.95 करोड़ रुपये की कुर्की में 67.9 करोड़ रुपये की विदेशो में की गई कुर्की शामिल है, इसके अतिरिक्त 597.75 करोड़ रुपये की जब्ती भी की गई है। निर्मला ने ट्वीट किया, “रेड नोटिस जारी किया गया। एंटीगुआ को प्रत्यर्पण अनुरोध भेजा गया। मेहुल चोकसी को भगोड़ा घोषित कराने की सुनवाई प्रगति पर है।”

वित्तमंत्री ने ट्वीट में कहा, “विजय माल्या मामला : कुर्की के समय संपत्ति का कुल मूल्य 8,040 करोड़ रुपये था और जब्त संपत्ति का मूल्य 1,693 करोड़ रुपये। भगोड़ा घोषित। भारत सरकार के प्रत्यर्पण अनुरोध पर ब्रिटिश हाईकोर्ट ने प्रत्यर्पण के लिए फैसला सुनाया है।”

सीतारमण ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार इन विलफुल डिफाल्टर्स का पीछा कर रही है, और इनके खिलाफ 9,967 वसूली मुकदमें, 3,515 एफआईआर कि गए हैं, और इन मामलों में भगोड़ा संशोधन अधिनियम लागू करने की प्रक्रिया जारी है। नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या के मामलों में कुल कुर्की व जब्ती का मूल्य 18,332.7 करोड़ रुपये है।

उन्होंने कहा कि शीर्ष 50 डिफाल्टरों से संबंधित कर्ज की कुल बकाया राशि और तकनीकी व प्रुडेंशियली बट्टा खाते में डाली गई राशि के विवरण, राहुल गांधी द्वारा 16 मार्च, 2020 को पूछे गए तारांकित प्रश्न के जवाब में लोकसभा को एक एनेक्स के रूप में मुहैया करा दिए गए थे।

–आईएएनएस

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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