नई दिल्ली, 17 सितम्बर (आईएएनएस)| सरकार ने स्वास्थ्य के आधार पर ई-सिगरेट्स के उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध की तैयारी की है लेकिन दिल्ली स्थित व्यापारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने इस कदम का यह कहते हुए विरोध किया है कि इससे तस्करी को बढ़ावा मिलेगा।
संगठन ने गुजारिश की है कि ई सिगरेट फिलहाल युवाओं द्वारा पसंद की जा रही है, इसलिए इसपर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की बजाए, सरकार को कड़े नियम बनाने चाहिए, जैसे कि इसकी बिक्री 18 साल से कम उम्र वालों को ना की जाए।
सीएआईटी के राष्ट्रीय महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, “पूरी तरह से प्रतिबंध से तस्करी को बढ़ावा मिलेगा, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान होगा। इसलिए हमारा मानना है कि ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने की बजाए, इसकी बिक्री के लिए नियम और कानून बनाने चाहिए।”
ई-सिगरेट को धूम्रपान की लत से बाहर निकालने में मददगार के रूप में प्रचारित किया जाता रहा है।
इसमें तंबाकू की जगह पर तरल रसायनों को गर्म किया जाता है, जिसके धुएं को पीनेवाला अंदर खींचता है। यही कारण है कि ई-सिगरेट भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वास्थ्य कारणों से ई-सिगरेट समेत सभी इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलिवरी सिस्टम्स (ईएनडीएस) के उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव दिया है।
मंत्रालय के प्रस्ताव में कहा गया है कि एक अध्यादेश लाकर देश भर में इसे तुरंत पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाए और कानून तोड़ने पर जुर्माना और जेल की सजा दी जाए।
इससे पहले, गुजरात टोबैको मर्चेन्ट्स एसोसिएशन (जीटीएमए) और गुजरात टोबैको ग्रोवर्स एंड मर्चेंट्स एसोसिएशन (जीटीजीएमए) ने भी सरकार से प्रतिबंध नहीं लगाने की मांग की थी।