देश की आर्थिक राजधानी में मचा सियासी हलचल खत्म हो गया है। इसके बाद बारी देश की राजधानी यानि दिल्ली की है। झारखंड में विधानसभा चुनाव खत्म होते-होते सियासत का फोकस पूरी तरह से दिल्ली पर शिफ्ट होने जा रहा है। वजह अगले साल की शुरुआत में होने वाला दिल्ली विधानसभा चुनाव है। दिल्ली की सत्ता पर काबिज़ आम आदमी पार्टी पहले ही चुनावी मोड में आ चुकी है। अब बीजेपी ने भी चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। जहाँ आप एक बार फिर से सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में चुनावी मैदान में उतरेगी, वहीं बीजेपी-कांग्रेस को चेहरों की तलाश है।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं। बीजेपी दिल्ली में पानी को बड़ा मुद्दा बनाने की फिराक में है। इसके अलावा कच्ची कॉलोनियों को नियमित करने के नाम पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। जहाँ तक मुख्यमंत्री पद के चेहरे की बात है तो बीजेपी के कई नेता इस दौड़ में शामिल हैं।
पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री और दिल्ली में बीजेपी के चुनाव के सह प्रभारी हरदीप सिंह पुरी ने मनोज तिवारी को मुख्यमंत्री के दावेदार के तौर पर पेश किया। उन्होंने कहा कि हम दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं और हम उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के बाद ही आराम करेंगे। हालाँकि, मामला मीडिया में उछला तो हरदीप पुरी अपने बयान से पलट गए और सफाई देते हुए कहा कि दिल्ली में जीतेंगे लेकिन कौन मुख्यमंत्री बनेगा और क्या फैसला होगा यह फैसला पार्टी की सीनियर लीडरशिप करेगी।
इसके बाद बुधवार को दिल्ली में कुछ जगहों पर ‘I Like Manoj Tiwari’ वाले होर्डिंग लगे दिखे। ये बीजेपी का आधिकारिक कैंपेन तो नहीं लग रहा, लेकिन कहीं न कहीं मनोज तिवारी को सीएम फेस के तौर पर प्रोजक्ट करने की कोशिश जरूर चल रही है। दिलचस्प बात ये है कि मनोज तिवारी के लिए चलाया जा रहा ये कैंपेन आम आदमी पार्टी के ‘आई लव केजरीवाल’ कैंपेन की तर्ज पर शुरू किया गया है। आपको बता दें कि आप ने सितंबर महीने में दिल्ली के ऑटो के पीछे ‘I Love Kejriwal’ लिखकर चुनावी अभियान शुरू किया था।
गौरतलब है कि पिछले दिनों सीएम का चेहरा बनाने पर उठ रहे सवालों पर मनोज तिवारी ने कहा, “एक राज्य अध्यक्ष के रूप में मेरा कर्तव्य यह सुनिश्चित करना है कि हम राज्य में सरकार बनाएं। मुद्दा यह नहीं है कि सीएम कौन होगा, यह मुद्दा AAP की बेचैनी है। इससे पता चलता है कि वे रात में सो नहीं पाएंगे।” उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसले संसदीय बोर्ड द्वारा लिए जाते हैं।
आपको याद दिला दें कि साल 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने किरण बेदी को दिल्ली में अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया था, लेकिन पार्टी को अपने इतिहास की सबसे करारी हार झेलनी पड़ी थी। फिलहाल हरदीप पुरी के ऐलान और मनोज तिवारी के पक्ष में बिलबोर्ड्स लगने से यह चर्चा एक बार फिर शुरू हो गई है। ऐसे में देखना होगा कि क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को टक्कर देने के लिए बीजेपी सीएम उम्मीदवार की घोषणा करेगी?