झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के गुदड़ी थाना के बुरुगुलीकेरा गांव में सात लोगों की हत्या कर दी गई। आरोप है कि पत्थलगड़ी आंदोलन के समर्थकों ने पत्थलगड़ी का विरोध करने पर पर इनलोगों का पहले अपहरण किया और फिर जंगल में ले जाकर इनकी हत्या कर दी। मृतकों में उपमुखिया और अन्य छह ग्रामीण शामिल हैं। पुलिस ने बुधवार को इनके शव बरामद किए। पुलिस मंगलवार दोपहर से ही शवों की तलाश में जुट गई थी। सभी मृतकों के शव चक्रधरपुर में पोस्टमार्टम के लिए भेजवा दिए गए है।
#UPDATE ADG (operations) Murari Lal Meena: All seven bodies recovered from a place 3 km away from Gulikera village. The etnire area is surrounded by hills. #Jharkhand https://t.co/VWfHjn3m1B
— ANI (@ANI) January 22, 2020
पुलिस के अनुसार, पत्थलगड़ी समर्थकों ने रविवार को बुरुगुलीकेरा गांव में ग्रामीणों के साथ बैठक की। इस बैठक का उपमुखिया जेम्स बूढ़ समेत छह लोगों ने विरोध किया। पत्थलगड़ी समर्थकों ने इसका विरोध करनेवाले उप मुखिया जेम्स बूढ़ और अन्य छह लोगों की पिटाई की। हिंसक माहौल को देखते हुए ग्रामीण वहां से भाग गये। बाद में पत्थलगड़ी समर्थकों ने उपमुखिया जेम्स बूढ़ और अन्य छह लोगों को उठा लिया। सातों ग्रामीणों को पत्थलगड़ी समर्थक जंगल की ओर लेते गये। रविवार को रात तक उप मुखिया जेम्स बूढ़ समेत सातों ग्रामीणों के घर नहीं लौटने पर सोमवार को उनके परिजन गुदड़ी थाना पहुंचे और पुलिस को सूचना दी।
वहीं राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। मुख्यमंत्री आज संबंधित अधिकारियों से मिलकर मामले की समीक्षा करेंगे।
This incident in West Singhbhum district is unfortunate. @JharkhandPolice is investigating it & search operation is underway. The Rule of Law is supreme & will take it’s own course for those found guilty. The Hon’ble CM will review the situation today with all concerned officials
— Office of Chief Minister, Jharkhand (@JharkhandCMO) January 22, 2020
17 जनवरी को हुई थी मारपीट
बताया गया है कि राज्य के पश्चिमी सिंहभूम जिले के गुदड़ी थाना के बुरुगुलीकेरा गांव में पत्थलगड़ी समर्थकों के द्वारा गांव में घूम-घूम कर कुछ दस्तावेज मांग कर जमा करने का काम पिछले 10-12 दिनों से चल रहा था। इसी दौरान बीते 17 जनवरी को पत्थलगड़ी विरोधियों का पत्थलगड़ी समर्थकों के साथ मारपीट की घटना हुई थी। इस घटना में कई पत्थलगड़ी समर्थकों को चोटें आयी थी। रविवार को पत्थलगड़ी समर्थक और पत्थलगड़ी विरोधियों के बीच फिर से हिंसक झड़प हुई जिनमें पत्थलगड़ी समर्थकों के द्वारा पत्थलगड़ी विरोधी सात लोगों की हत्या कर दी गयी।
क्या है पत्थलगड़ी
आदिवासी समुदाय और गांवों में विधि-विधान/संस्कार के साथ पत्थलगड़ी (बड़ा शिलालेख गाड़ने) की परंपरा पुरानी है। इनमें मौजा, सीमाना, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी रहती है। वंशावली, पुरखे तथा मरनी (मृत व्यक्ति) की याद संजोए रखने के लिए भी पत्थलगड़ी की जाती है। कई जगहों पर अंग्रेजों या फिर दुश्मनों के खिलाफ लड़कर शहीद होने वाले वीर सपूतों के सम्मान में भी पत्थलगड़ी की जाती रही है।
दरअसल, पत्थलगड़ी उन पत्थर स्मारकों को कहा जाता है जिसकी शुरुआत इंसानी समाज ने हजारों साल पहले की थी। यह एक पाषाणकालीन परंपरा है जो आदिवासियों में आज भी प्रचलित है। माना जाता है कि मृतकों की याद संजोने, खगोल विज्ञान को समझने, कबीलों के अधिकार क्षेत्रों के सीमांकन को दर्शाने, बसाहटों की सूचना देने, सामूहिक मान्यताओं को सार्वजनिक करने आदि उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रागैतिहासिक मानव समाज ने पत्थर स्मारकों की रचना की।