International Literacy Day: दुनियाभर से अशिक्षा को समाप्त करने के मकसद से आज 54वां ‘अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस’ मनाया जा रहा है। साल 1966 में यूनेस्को ने शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने तथा विश्व भर के लोगों का इस तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए हर साल 8 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने का निर्णय लिया था।
जिसके बाद हर साल 8 सितंबर को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाए जाने लगा। साक्षरता आज की सबसे बड़ी जरूरतों में से एक है। इसका सामाजिक एवं आर्थिक विकास से गहरा संबंध है। किसी भी देश का विकास तब तक नहीं हो सकता, जब तक की वहां के लोगों को शिक्षा न मिल सकें।
साक्षरता स्थायी विकास के लिए एक स्रोत है और निष्क्रिय समाज के टिकाऊ, समृद्ध और स्थायी बनाए रखने में एक निर्णायक एवं मूलभूत यन्त्र के रूप में कार्य करता है। ‘अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस’ मनाने का विचार पहली बार ईरान के तेहरान में शिक्षा के मंत्रियों के विश्व सम्मेलन के दौरान साल 1965 में 8 से 19 सितंबर को चर्चा की गई थी।
26 अक्टूबर, 1966 को यूनेस्को (UNESCO) ने 14वें जरनल कॉन्फ्रेंस में घोषणा करते हुए कहा कि अब से हर साल दुनिया भर में 8 सितंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। साक्षरता एक मानव अधिकार है। साक्षरता में वृद्धि शैक्षिक संभावनाओं पर निर्भर करता हैं।
साक्षरता सभी के लिए मौलिक शिक्षा का मूल है। इसके साथ ही गरीबी को दूर करने, जनसंख्या वृद्धि को रोकने, बाल मृत्यु दर में कमी करने, लिंग समानता को प्राप्त करने और सतत विकास, शांति और लोकतंत्र को मजबूत बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इस खास मौके पर कई समारोह का आयोजन कर, साक्षरता को लेकर भाषण दिए जाते हैं, तो कहीं शिक्षा की अलख जगाने के लिए लोगों को जागरूक किया जाता है, तो कहीं केवल साक्षरता और निरक्षरता के आंकड़ों की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित कर लिया जाता है।