ऐसा नहीं है कि संसद में (Parliament) कभी हंगामा नहीं बरपा, लेकिन 20 सितंबर 2020 को राज्यसभा (Rajyasabha) में जो हुआ वो इतिहास के पन्नो पर दर्ज रहेगा। इन दिनों पंजाब (Punjab) और हरियाणा (Haryana) जैसे हिस्सों में कृषि बिल (Farmer Bill) को लेकर किसान और विपक्षी दल के लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
कुछ ऐसा ही विरोध देखने को मिला राज्यसभा में। इस बिल के विरोध में खूब हंगामा हुआ। इतना हंगामा हुआ कि किसी को लोकतंत्र की सीमाएं तक नहीं याद रहीं। विरोध में विधेयक की प्रतियां फाड़ी गईं। उप सभापति के कुर्सी तक सांसदों ने जाकर हंगामा किया। उनका माइक तक तोड़ दिया गया। इस मामले में टीएमसी (TMC) के डेरेक ओ ब्रायन (Derek O’brien) और आप (AAP) के संजय सिंह (Sanjay Singh) समेत 8 सांसदों को उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह (Harivansh Narayan Singh) और सभापति वेंकैया नायडू (M.Venkaiah Naidu) ने निलंबित कर दिया है।
इन सांसदों ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया और रात भर धरना प्रदर्शन पर बैठे रहे। यह प्रदर्शन तब ज्यादा चर्चा में आ गया जब राज्यसभा के नए उप सभापति हरिवंश ने इन सभी को अपने हाथों से चाय पिलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसके लिए ट्वीट कर के हरिवंश की तारीफ की है। इन सब घटनाओं के बाद हरिवंश काफी चर्चे में हैं।
हरिवशं – एक पत्रकार
30 जून 1956 को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बलिया (Balliya) में जन्मे हरिवंश ने अर्थशास्त्र (Economics) में अपना ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन दोनों बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पूरा किया। इसके बाद इन्होंने पत्रकारिता में डिप्लोमा भी किया।
हरिवंश ने एक बैंक से नौकरी की शुरूआत की। उन्हें वो नौरकी नहीं रास नहीं आई तो उन्होंने उसे छोड़ कर पत्रकारिता करने का फैसला क़िया। हरिवंश टाइम्स ऑफ इंडिया (Times Of India) ग्रुप के साथ एक ट्रेनी जर्नलिस्ट के तौर पर काम करना शुरू किया।
भारत में एक महान साहित्यकार हुए धर्मवीर भारती (Dharmveer Bharti)। भारती टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप के ही एक पत्रिका ‘धर्मयुग’ के संपादक थे। हरिवंश इस पत्रिका के साथ भी जुड़े रहे और उन्होंने धर्मवीर भारती के साथ कुछ दिनों तक काम किया। इसी बीच हरिवंश मुम्बई शिफ्ट हो गए। कुछ दिनों बाद वे कलकत्ता (Kolkata) आ गए।
हरिवंश अब जानी मानी पत्रिका ‘रविवार’ में काम करते थे। इसके संपादक उस वक़्त के जाने माने पत्रकार सुरेंद्र प्रताप सिंह हुआ करते थे। इसी पत्रिका में प्रकाशित हरिवंश की एक रिपोर्ट काफी चर्चा में आ गई। वो रिपोर्ट थी ‘जेपी का गांव मेरा गांव’।
इस रिपोर्ट में इन्होंने जयप्रकाश नारायण (JP) के बारे में लिखा था। बाद के दिनों में हरिवंश की नजदीकियां देश के प्रधानमंत्री रहे चंद्रशेखर (Chandrashekhar) से बढ़ गईं थी। दोनों बलिया जिले के ही रहने वाले थे।
बाद में रविवार पत्रिका बन्द हो गई। हरिवंश रांची (Ranchi) आ गए। यहां आकर उन्होंने 1989 में ‘प्रभात खबर’ का संपादन सम्भाला। यहां उन्होंने एक लंबे अरसे तक काम किया। हरिवंश एक तटस्थ और सुलझे हुए पत्रकार रहे हैं।
हरिवंश – एक सांसद
देश में ऐसा वक़्त आया जब केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह (VP Singh) की सरकार गिर गई। इसके बाद चंद्रशेखर ने कांग्रेस (Congress) के समर्थन से अपनी सरकार बना ली। वो प्रधानमंत्री बन गए। अब उन्हें एक प्रेस सलाहकार की ज़रूरत थी। उन्होंने बिना सोचे हरविंश को बुलाया।
इसके बाद हरिवंश दिल्ली चले गए। वहां जाकर उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय में अतिरिक्त सूचना सलाहकार का पद संभाला। जब चन्द्रशेखर की सरकार गिर गई तो हरिवंश ने फिर रांची आकर प्रभात खबर में अपने संपादक का पद संभाला।
बाद में वो नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के प्रस्ताव सम्पादक हुए। इसी वक्त उन्हें नीतीश ने जेडीयू (JDU) से राज्यसभा का टिकट भी दिया। वो अब राज्यसभा सांसद हो गए थे लेकिन बावजूद इसके वो प्रभात खबर के संपादकीय कार्य को नियंत्रित करते रहे थे। हरिवंश को हाल ही में राज्यसभा का उप सभापति भी चुना गया है।