संसद में हाल ही में पास हुए कृषि से जुड़े तीन विधेयकों का विरोध अब जोर पकड़ने लगा है। इस विरोध प्रदर्शन में पंजाब और हरियाणा के ज्यादातर किसान शामिल हो रहे हैं। इसके अलावा देश के 31 किसान संगठनों ने इस बंद का समर्थन किया है। भारतीय किसान यूनियन ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि कृषि बिलों के खिलाफ भारत बंद को उसका पूर्ण समर्थन रहेगा।
भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्रहण) के महासचिव सुखदेव सिंह ने पंजाब के दुकानदारों से अपील की है कि भारत बंद पर वे अपनी दुकानें बंद रखें और किसानों का समर्थन करें। देश के विभिन्न किसान यूनियनों ने ऐलान किया है कि इस बिल के खिलाफ वे आज चक्का जाम करेंगे।
इस प्रदर्शन को कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों का भी समर्थन हासिल है। एक रिपोर्ट के मुताबिक बंद के लिए 31 किसान संगठनों ने हाथ मिलाया है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) समेत कई संगठनों ने कहा है कि उन्होंने विधेयकों के खिलाफ कुछ किसान संगठनों द्वारा आहूत राष्ट्रव्यापी हड़ताल का समर्थन किया है।
पंजाब में गुरुवार के दिन भी किसान कई जगह रेल लाइनों पर बैठ गए हैं। पंजाब के किसानों ने साफ कहा है कि सरकार अगर उनकी बात नहीं मानती है तो 1 अक्टूबर से अनिश्चितकाल के लिए रेल यातायात ठप किया जाएगा। हरियाणा भाकियू के प्रमुख गुरनाम सिंह ने कहा कि उनके संगठन के अलावा कुछ अन्य किसान संगठनों ने भी राष्ट्रव्यापी हड़ताल को अपना समर्थन दिया है।
गुरनाम सिंह ने कहा, हमने अपील की है कि राज्य के राजमार्गों पर धरना होना चाहिए और अन्य सड़कों पर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध होना चाहिए। राष्ट्रीय राजमार्गों पर धरना नहीं देना चाहिए। सिंह ने कहा कि हड़ताल के दौरान सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक किसी भी प्रकार के गैरकानूनी काम में संलिप्त नहीं होना चाहिए।
रेलवे ने आंदोलन के मद्देनजर 26 ट्रेनों का परिचालय 26 सितंबर तक रद्द कर दिया है। जिन ट्रेनों को निलंबित कर दिया गया है, वे हैं- गोल्डेन टेम्पल मेल (अमृतसर-मुंबई मध्य), जन शताब्दी एक्सप्रेस (हरिद्वार-अमृतसर), नई दिल्ली-जम्मू तवी, कर्मभूमि (अमृतसर-न्यू जलपाइगुड़ी), सचखंड एक्सप्रेस (नांदेड़-अमृतसर) और शहीद एक्सप्रेस (अमृतसर-जयनगर) निलंबित ट्रेनों की सूची में शामिल हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि हड़ताल के दौरान कानून-व्यवस्था की दिक्कतें पैदा नहीं करनी चाहिए। उन्होंने किसानों से यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि नागरिकों को किसी तरह की दिक्कतें न आए और आंदोलन के दौरान जान-माल को किसी भी प्रकार का खतरा नहीं होना चाहिए।
प्रदर्शनकारियों ने आशंका व्यक्त की है कि केंद्र के कृषि सुधारों से न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म पूरी तरीके से समाप्त हो जाएगी जिसका असर ये होगा कि कृषि क्षेत्र बड़े पूंजीपतियों के हाथों में चला जाएगा। किसानों ने कहा है कि तीनों विधेयक वापस लिए जाने तक वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।