मालेगांव बम धमाकों की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर बुधवार को बीजेपी में शामिल हुईं। इससे पहले वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और विश्व हिंदू परिषद की महिला विंग या दुर्गा वाहिनी के साथ जुड़ी रही हैं। पार्टी में शामिल होते ही भाजपा ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को मध्य प्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट से टिकट दे दिया। इस पर गीतकार जावेद अख्तर, अभिनेत्री स्वरा भास्कर समेत कई लोगों ने आपत्ति जाहिर की है। सोशल मीडिया पर बीजेपी के इस कदम की आलोचना हो रही है। वहीं, बीजेपी समर्थक दावा कर रहे हैं कि ”साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को अदालत निर्दोष करार दे चुकी है।” क्या ये दावे सच हैं? आइये जानते हैं-
पहले तो सोशल मीडिया पर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बरी बताने वाले ट्वीट्स पर नजर डालें तो अलग-अलग बातें सामने आती हैं। किसी ट्वीट में दावा किया गया है कि साध्वी को एनआईए कोर्ट ने बरी कर दिया, किसी ने लिखा कि उन्हें हाईकोर्ट ने निर्दोष करार दिया तो ऐसे भी ट्वीट दिखे जिसमें सुप्रीम कोर्ट में साध्वी के बरी होने की बात लिखी गई। उदाहरण के लिए-
लेकिन, सच्चाई ये है कि इन दावों में सच्चाई नहीं हैं।आपको बता दें कि, असल में मालेगांव बम धमाकों में किसी भी कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बेकसूर करार नहीं दिया है। धमाके के केस में उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिली हुई है। खास बात है कि मालेगांव धमाकों की जांच कर रही एजेंसी NIA ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को क्लीन चिट दी थी, लेकिन NIA की अदालत ने उन्हें बरी नहीं किया।
गौरतलब है कि 29 सितम्बर, 2008 को मालेगांव में एक मस्जिद के नजदीक हुए धमाकों में छह लोगों की मौत हो गई थी और 101 लोग जख्मी हो गये थे। इस घटना में एक मोटरसाइकिल पर विस्फोटक बांध कर धमाका किया गया था। मालेगांव बम धमाकों के मामले में पहले शहीद हेमंत करकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र एटीएस ने जांच की थी। बाद में जांच नेशनल इन्विस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को सौंप दी गई।
मालेगांव विस्फोट : 7 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय
एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ तमाम आरोपों को हटा लिया, लेकिन कोर्ट ने एजेंसी के दावे को मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सहित 6 लोगों के खिलाफ आरोप तय कर दिए। बाद में अप्रैल, 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट से ठाकुर को जमानत मिली थी। तब कोर्ट से जमानत मांगने के लिए साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने खराब स्वास्थ्य का भी हवाला दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने पीएम नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हुए लिखा- ”मोदी के एनआईए की ओर से प्रज्ञा ठाकुर को बरी करने की तमाम कोशिश के बावजूद कोर्ट ने उन्हें आरोपों से मुक्त करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने मालेगांव धमाके की प्लानिंग और एग्जेक्यूशन में उनके शामिल होने के अहम सबूतों के मद्देनजर ऐसा किया। फिर भी बीजेपी ने उन्हें कैंडिडेट बना दिया।’
Despite every effort of Modi’s NIA to get Pragya thakur of the hook, the Court refused to discharge her, citing much critical evidence showing her full complicity in planning and execution of the terror attack at Malegaon. Yet BJP makes her its candidate!https://t.co/djHQjrbcQ9
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) April 18, 2019
उल्लेखनीय है कि भोपाल से कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार बनाया है। भोपाल बीजेपी का गढ़ रहा है और पार्टी यहां 30 साल से लगातार चुनाव जीतती आ रही है। कांग्रेस ने पिछली बार यहां 1984 में चुनाव जीता था। कांग्रेस नेता शंकर दयाल शर्मा, जो देश के राष्ट्रपति भी रहे ने 1984 में इस सीट पर जीत दर्ज की थी। 1989 से लेकर बीजेपी के सुशील चंद्र वर्मा ने तीन पर यहां का प्रतिनिधित्व किया। 1999 में उमा भारती यहां से जीतीं लेकिन मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। वर्तमान में अशोक सांझर भोपाल से सांसद हैं।