आई-लीग क्लबों का बयान अनावश्यक, हम सभी हितधारकों के बारे में सोचते हैं : महासंघ

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नई दिल्ली, 24 जून (आईएएनएस)| अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) ने सोमवार को यहां आई-लीग क्लबों द्वारा दिए गए एक संयुक्त बयान को अपरिपक्व और अनावश्यक बताते हुए कहा कि महासंघ कोई भी निर्णय लेने से पहले सभी हितधारकों के हितों के बारे में सोचता है। इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) को देश की नंबर-1 लीग बनाने के मुद्दे पर ईस्ट बंगाल, मोहन बागान, चर्चिल ब्रदर्स, मिनर्वा पंजाब, आइजोल एफसी, नेरोका और गोकुलम केरला एफसी ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा था कि अगर आई-लीग को भारत की शीर्ष लीग का दर्जा नहीं मिला तो वे अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

एआईएफएफ की कार्यकारी समिति तीन जुलाई को बैठक कर इस मुद्दे पर निर्णय लेगी।


महासंघ ने अपने बयान में कहा, “आई-लीग क्लबों द्वारा एआईएफएफ के किसी भी कदम का पूर्वानुमान लगाना अपरिपक्व और अनावश्यक है। महासंघ की कार्यकारी समिति तीन जुलाई को बैठक करके इस मामले में अपना निर्णय लेगी।”

एआईएफएफ ने कहा, “एआईएफएफ भारतीय फुटबाल की संरक्षक है और हमने हमेशा सभी हितधारकों के हितों के बारे में सोचकर निर्णय लिया है, इसमें आई-लीग क्लब भी शामिल है। ऐसा कहना अनुचित होगा कि एआईएफएफ भविष्य में जो भी निर्णय लेगा उसमें आई-लीग और उसमें खेल रहे क्लबों के बारे में नहीं सोचा जाएगा।”

महासंघ ने 2010 में आईएमजी रिलायंस की सहायक कंपनी और अपने वाणिज्यिक साझेदार फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड (एफएसडीएल) के साथ एक मास्टर राइट्स ऑफ एग्रीमेंट साइन किया था जिसमें कहा गया था कि एक नई लीग (आईएसएल) को भारत की शीर्ष लीग बनाया जा सकता है और आई-लीग को पुनर्गठित, प्रतिस्थापित या बंद (अस्थायी या स्थायी रूप से) किया जा सकता है।


एआईएफएफ ने कहा, “आईएसएल को मान्यता देने से पहले एएफसी और फीफा से बातचीत की गई थी और भविष्य में लीग को लेकर लिए जाने वाले किसी निर्णय से पहले भी चर्चा की जाएगी। इसके अलावा, कार्यकारी समिति के अगले कदम का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता और यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि एआईएफएफ आई-लीग क्लबों से जुड़े मुद्दे पर एफएसडीएल से पहले ही बातचीत कर चुका है।”

कई आई-लीग क्लबों ने इस साल हुए सुपर कप में भी भाग नहीं लिया था और कहा था कि महासंघ के अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल उन्हें समय नहीं दे रहे।

महासंघ ने कहा, “एआईएफएफ अध्यक्ष ने कहा था कि वे फीफा परिषद और लोकसभा चुनाव के कारण 10 से 14 अप्रैल के बीच आई-लीग क्बलों से मिल सकते हैं। इसके बावजूद क्लबों ने अध्यक्ष से मुलाकात नहीं की और सुपर कप में भी भाग नहीं लिया जिससे वित्तीय घाटा हुआ। क्लबों के मालिकों ने एआईएफएफ एवं इसके अध्यक्ष के खिलाफ सोशल मीडिया पर भी खराब बातें लिखीं। हम क्लबों को अनावश्यक आरोप लगाने से बचने के लिए कहेंगे। साथ आइए और भारतीय फुटबाल को बेहतर करने के लिए काम करिए।”

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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