आईआईटीएफ 2018 : प्रदर्शकों को जगह की कमी, सुविधाओं को लेकर शिकायत

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नई दिल्ली, 17 नवंबर (आईएएनएस)| जगह की कमी और बुनियादी सुविधाओं के अभाव के कारण वार्षिक भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (आईआईटीएफ) में भाग लेने वाले व्यापारी और प्रदर्शक निराश हैं, क्योंकि इस जगह का मेकओवर किया जा रहा है। लेकिन ग्राहक खुश हैं क्योंकि उन्हें ज्यादा चलना नहीं पड़ रहा है। चाहे वह फूड स्टॉल हो या राज्यों और देशों के पैवेलियन, इस साल मेले में हर कुछ छोटी सी जगह में लगाया गया है, क्योंकि प्रगति मैदान में आईईसीसी (इंट्रीगेटेड एक्जिबसन-कम-कंवेंशन सेंटर) परियोजना चल रही है।

व्यापारियों ने बताया कि उन्हें पानी और खाने-पीने की सुविधाओं के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।


छत्तीसगढ़ से आए कन्हैया लाल देवांगम हैंडलू साड़ियां बेचते हैं। उन्होंने बताया, “पहले मुझे बड़ा स्टॉल मिलता था, लेकिन निर्माण कार्य जारी होने के कारण मुझे छोटे में गुजारा करना पड़ रहा है। जगह की इतनी कमी है कि मैं ग्राहकों को सही तरीके से साड़ियां फैला कर भी नहीं दिखा सकता। एक बार में एक ग्राहक को दिखाने में भी परेशानी आ रही है।”

लखनऊ के मशहूर चिकनकारी कुर्ता स्टॉल लगानेवाले यू. के. मिश्रा ने आयोजकों की आलोचना की और कहा कि वे प्रदर्शकों और व्यापारियों की बुनियादी मांगों को भी पूरा नहीं कर पा रहे हैं।

उन्होंने कहा, “हम छोटी-सी जगह में तो गुजारा कर लेंगे। लेकिन हमें बिना पानी के रहना पड़ रहा है। पूरे हॉल में मुश्किल से एक-दो वॉटर फिल्टर हैं। कल्पना कीजिए कि 800 स्टॉल के लिए केवल एक-दो वॉटर फिल्टर हैं।”


उन्होंने कहा, “यहां आने के लिए हमें रोज टिकट खरीदना पड़ रहा है। क्योंकि हमें एक ही एंट्री कार्ड दिया गया है, जबकि हम दो लोग स्टॉल पर काम करते हैं। मेरे भाई को रोज 500 रुपये का टिकट खरीदना पड़ रहा है। आयोजकों को प्रदर्शकों को छूट देनी चाहिए।”

उग्र प्रदर्शकों की शिकायतों पर इंडिया ट्रेड प्रमोशन ऑर्गनाइजेशन (आईटीपीओ) की महाप्रबंधक हेमा मैती ने आईएएनएस से कहा, “मैं इस बात से सहमत हूं कि पानी की सुविधा का अभाव है। निर्माण कार्य के कारण पानी की पाइपलाइनें अवरुद्ध हैं। लेकिन हमने हर जगह वॉटर एटीएम्स और वॉटर टैंक्स लगा रखे हैं, जिसका शुल्क दो रुपये ग्लास और पांच रुपये बोतल है।”

उन्होंने कहा, “लोगों को इस साल कई परेशानियां हो रही हैं। लेकिन निर्माण का काम उन्हीं के लिए किया जा रहा है। इससे आनेवाले सालों में उन्हीं को फायदा होगा।”

इस मेले में करीब 800 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय भागीदार शामिल हुए हैं और रोजाना 30,000 लोग मेला देखने आ रहे हैं। इस बार महज 23,000 वर्गमीटर में ही मेले का आयोजन किया गया है।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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