वो Ahmed Patel जिन्होंने हमेशा पर्दे के पीछे से कांग्रेस को मजबूत किया

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वो Ahmed Patel जिन्होंने हमेशा पर्दे के पीछे से कांग्रेस को मजबूत किया

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल का आज यानी 25 नवंबर, बुधवार की सुबह निधन हो गया है। उनकी हालत कई दिनों से नाजुक बताई जा रही थी। अहम पटेल का जन्म 21 अगस्त 1949 को गुजरात में हुआ था। अहमद पटेल की शादी 1976 में मेमूना अहमद से हुई थी।

अहमद पटेल ने अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत नगरपालिका के चुनाव से की थी। इसके बाद आगे चल कर अहमद पंचायत के सभापति भी बन गए। आगे चल कर इन्होंने कांग्रेस पार्टी में प्रवेश किया और उसके बाद राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए थे।


इन्दिरा गांधी के आपातकाल के बाद 1977 में आम चुनाव हुए थे। इस चुनाव में इन्दिरा गांधी की हार हुई थी। इसी चुनाव में अहमद पटेल की जीत हुई थी और पहली बार  लोकसभा में आए थे। अहमद तीन बार लोकसभा सभा सांसद (1977, 1980,1984) और पांच बार राज्यसभा सांसद (1993,1999, 2005, 2011, 2017 वर्तमान) रहे थे।

कांग्रेस में हमेशा से अहमद पटेल संगठन के आदमी माने गए थे। 1985 में जब राजीव गांधी ने अहमद को ऑस्कर फर्नांडीस और अरुण सिंह के साथ अपना संसदीय सचिव बनाया था तब अहमद पटेल खासा चर्चा में आ गए थे। तब से इन तीनों को अनौपचारिक चर्चाओं में ‘अमर-अकबर-एंथनी’ गैंग कहा जाने लगा था। अहमद पटेल हमेशा सत्ता और प्रचार से खुद को दूर रखना ही पसंद करते थे।

राजनीतिक जानकारों की मानें तो, सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह और प्रणब मुखर्जी के बाद यूपीए के 2004 से 2014 के शासनकाल में अहमद पटेल सबसे ताकतवर नेता माने जाते थे। यहां तक कि कांग्रेस के शिवसेना के साथ आने का श्रेय भी इन्हीं को दिया जाता है।


ऐसा भी माना जाता रहा है कि अहमद नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के बारबरी की हैसियत रखते थे। अहमद पटेल कांग्रेस की ओर से अगस्त 2017 में पांचवीं बार राज्यसभा भेजे जाने को लेकर बहुत उत्सुक नहीं थे। लेकिन ऐसा माना जाता है कि, तब सोनिया गांधी ने उन्हें इसके लिए मनाया था और कहा था कि अकेले वही हैं जो अमित शाह और पूरी बीजेपी की बराबरी करने के योग्य हैं।

आज से 3 साल पहले गुजरात में राज्यसभा की उस सीट पर सारे देश की नजरें थीं, जिस पर अहमद पटेल मैदान में थे। उस चुनाव को केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी और कांग्रेस आमने सामने थीं। इस चुनाव में बीजेपी ने पटेल की हार के लिए सारी ताकत झोंक दी थी। वहीं पटेल की तैयारी भी किसी से कम नहीं थी।

आमतौर पर राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव इतने चर्चे में नहीं होते। लेकिन इस साल का यह राज्यसभा चुनाव एकदम अलग था। अहमद पटेल का यह पांचवां राज्यसभा चुनाव था। दोनों पार्टियों की तरफ से भरपूर कोशिश की गई लेकिन कांग्रेस यो चुनाव जीत गई।

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