Bihar Election Result 2020: बिहार चुनाव में टिकट बंटवारे के इस बार सभी राजनीति दलों ने जातिगत वोटों का ख्याल रखा है। नीतीश ने भी सीट बंटवारे के दौरान कोर वोट बैंक पर खास फोकस किया है, ताकि उन्हें हरसंभव लाभ मिल सकें। आरजेडी के ‘MY’ समीकरण का तोड़ ढूंढने के लिए नीतीश कुमार ने सीट बंटवारे में विशेष ध्यान दिया।
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने इस बार आरजेडी (RJD) से पार पाने के लिए 11 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं। लेकिन उनका यह पैंतरा सफल नहीं हो सका। जदयू की तरफ से चुनावी मैदान में उतरें सभी मुस्लिम उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा।
जदयू ने सिकटा से खुर्शीद, शिवहर से शरफुद्दीन को, अररिया से शगुफ्ता अजीम, ठाकुरगंज से नौशाद आलम, कोचाधामन से मो. मुजाहिद आलम, अमौर से सवा जफर, दरभंगा ग्रामीण से फराज फातमी, कांटी से मो. जमाल, मढ़ौरा से अलताफ राजू, महुआ से आस्मा परवीन और डुमरांव से अंजुम आरा को टिकट दिया था। लेकिन इनमें से किसी को भी जीत नहीं मिल सकी।
इसके साथ ही जेडीयू ने 19 यादव जाति के लोगों को भी टिकट दिया है। यानी कुल मिला कर जदयू ने 30 मुस्लिम-यादवों को टिकट दिया है। जेडीयू की सूची जारी करते हुए जेडीयू ने नेता आरसीपी सिंह ने कहा था कि हमारे नेता समावेशी विकास के अगुआ हैं। टिकट बंटवारे में सभी वर्ग के लोगों का ध्यान रखा गया है।
इस दौरान नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने सभी वर्ग के लोगों को साधने की कोशिश की है। जेडीयू ने इस बार ढाई दर्जन से ज्यादा मुस्लिम-यादव उम्मीदवारों को दिकट दिया है। जेडीयू ने उम्मीदवारों के जरिए जेडीयू ने हर वर्ग को साधने की कोशिश की है।सवर्ण, अति-पिछड़ों और अल्पसंख्यक वोटरों में जेडीयू ने सेंधमारी की पूरी कोशिश की है।
जदयू ने इस बार आरजेडी के प्रभुत्व वाले इलाकों में जेडीयू ने वैसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जिससे वोटों का बिखराव हो सकें। इसके साथ ही आरजेडी खेमें से आए लोगों को भी नीतीश कुमार ने निराश नहीं किया है। यहीं वजह रही कि जदयू ने सभी को चुनावी मैदान में जोर आजमाने का मौका भी दिया।
जदयू ने सिर्फ यादव (Yadav) और मुस्लिमों (Muslims) पर ही नहीं, सवर्ण वोटरों पर भी नीतीश कुमार की मेहरबानी है। नीतीश कुमार ने इस चुनाव में 19 सवर्ण उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इसमें 2 ब्राह्मण, 7 राजपूत और 8 भूमिहार उम्मीदवार मैदान में हैं।
दरअसल पूर्व में नीतीश कुमार की पार्टी से अगड़ी जाति के उम्मीदवार चुनाव जीत कर आते रहे हैं। लेकिन कुछ समय से बिहार में अगड़ी जाति के लोग नीतीश कुमार के कुछ फैसलों से खासे नाराज भी चल रहे हैं। ऐसे में उन्हें खुश करने के लिए नीतीश कुमार ने यह दांव चला था।