नई दिल्ली, 20 जून (आईएएनएस)| पूर्व प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने गुरुवार को कहा कि बौद्धिक संपदा का अधिकार कानून को तोड़ने वाले को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि रचनात्मकता, अन्वेषण और नवाचारी कार्य से जुड़े लोगों के हितों की सुरक्षा की आवश्यकता है। पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि देश में बौद्धिक संपदा अधिकार की रक्षा के लिए सख्त कानून और उसके सहयोगपूर्ण प्र्वतन की जरूरत है।
वह यहां पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और युनाइटेड आईपीआर के सहयोग से आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन का विषय ‘इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी थ्रू कोलेबोरेटिव एन्फोर्समेंट’ था जिसमें न्यायमूर्ति मिश्रा के अलावा बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह, महानियंत्रक एकस्व (पेटेंट), अभिकल्प एवं व्यापार चिन्ह कार्यालय के उप नियंत्रक एकस्व, अभिकल्प एवं व्यापार चिन्ह एन. आर. मीना समेत कई विशेषज्ञ पहुंचे थे।
पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मेधा की पहचान और संस्थानों के हित में इसका सर्वोत्त उपयोग ही आईपीआर का प्रतिमान है।
न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह ने विभिन्न उदाहरणों के जरिए बौद्धिक संपदा अधिकार कानून के महत्व पर प्रकाश डाला।
बौद्धिक संपदा के तात्पर्य ऐसे विचारों, अविष्कारों, साहित्यिक व कलात्मक कार्यो से है जिनका व्यासायिक उपयोग किया जाता है। इसके अंतर्गत पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, भौगोलिक उपदर्शन (ज्योगरफिकल इंडिकेशन) इत्यादि आते हैं। इसकी सुरक्षा के लिए कानून हैं ताकि किसी के विचारों व कार्यो की नकल न हो।