मुंबई। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के पूर्व कार्यकाल में मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों का ब्योरा देने से मना कर दिया है। यह बात गुरुवार को एक आरटीआई कार्यकर्ता ने यहां बताई। कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि पीएमओ ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून की धारा 7 (9) के तहत मांगी गई जानकारी इस आधार पर देने से मना कर दिया कि इससे सार्वजनिक प्राधिकार के संसाधनों का दूसरे काम के लिए उपयोग होगा क्योंकि यह व्यक्तिपरक और जटिल कार्य हो सकता है।
उन्होंने कहा, “अधिनियम की धारा 7 (9) में विशेष तौर पर बताया गया है कि सूचना साधारण रूप से जिस रूप में मांगी गई है उस रूप में प्रदान की जाएगी बशर्ते इससे असंगत तरीके से सार्वजनिक प्राधिकार के संसाधन का दूसरे काम के लिए उपयोग न हो या रिकॉर्ड की सुरक्षा को कोई क्षति न हो।”
पीएमओ में अवर सचिव और सीपीआईओ प्रवीण ने अपने जवाब में कहा कि पीएमओ के पास विभिन्न केंद्रीय मंत्रियों और उच्चाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार व गैर-भ्रष्टाचार दोनों प्रकार की शिकायतें आती हैं, लेकिन इन शिकायतों को किसी एक मास्टर फाइल में नहीं रखा जाता है।
पीएमओ ने जवाब में कहा कि शिकायतें छद्य नाम या बेनाम प्रकृति की होती हैं और आरोप की सत्यता को ध्यान में रखते हुए उनकी विधिवत जांच की जाती है।
गलगली ने ने पीएमओ के जवाब को गैरसैद्धांतिक और अपूर्ण बताया।