भारत ने दुनिया को दो-तिहाई एड्स उपचार दवाओं की आपूर्ति की

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 संयुक्त राष्ट्र, 4 जून (आईएएनएस)| एड्स के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भारत ने एचआईवी संक्रमित लोगों के इलाज के लिए दुनिया को दो-तिहाई दवाओं की आपूर्ति की है। यह जानकारी भारतीय राजनयिक पौलोमी त्रिपाठी ने दी।

 भारत की संयुक्त राष्ट्र मिशन की पहली सचिव त्रिपाठी ने सोमवार को महासभा को बताया, “इन सस्ती जेनेरिक दवाओं ने विकासशील देशों में इलाज की पहुंच बढ़ाने में मदद की है।”


उन्होंने एचआईवी/एड्स पर घोषणा के कार्यान्वयन और 2001 में महासभा द्वारा अपनाए गए एचआईवी/एड्स पर राजनीतिक घोषणाओं पर एक चर्चा के दौरान कहा, “भारत एड्स के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय लड़ाई में योगदान दे रहा है..भारतीय दवा उद्योग द्वारा वैश्विक स्तर पर इस्तेमाल की जाने वाली एंटीरेट्रोवायरल दवाओं की लगभग दो तिहाई आपूर्ति की जाती है।”

त्रिपाठी ने निरंतर राजनीतिक प्रतिबद्धता के महत्व पर जोर दिया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वित्तपोषण की मांगों और बदलती प्राथमिकताओं ने एचआईवी/एड्स से लड़ने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करने के प्रयासों को प्रभावित नहीं किया है।

उन्होंने कहा, “सस्ती एंटीरेट्रोवाइरल दवाओं की निर्बाध पहुंच और गुणवत्तापूर्ण देखभाल, साथ ही समर्थित सेवाओं के माध्यम से उपचार सुनिश्चित करना, दवा आपूर्ति की रोक का मुकाबला करने के लिए आवश्यक है।”


त्रिपाठी ने कहा कि घरेलू तौर पर, नए संक्रमण में कमी लाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है और मां के जरिए बच्चे को बीमारी होने से रोकने और वर्ष 2020 तक इसे लेकर सामाजिक कलंक और भेदभाव को समाप्त करने पर ध्यान दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत में 1995 में यह महामारी चरम पर थी। तब से नए संक्रमणों में 80 प्रतिशत से अधिक गिरावट आई है और 2005 में इस बीमारी से होने वाली मौतों में 71 प्रतिशत की कमी आई है।

दुनिया में फार्मेसी के रूप में वर्णित किए गए भारत के पास 112 विकासशील देशों के लिए एंटी-एड्स दवा टेनोफोविरएलाफेनमाइड (टीएएफ) बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र समर्थित मेडिसिन पेटेंट पूल का एक विशेष लाइसेंस है।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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