भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी

  • Follow Newsd Hindi On  

नई दिल्ली, 5 फरवरी (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिपरिषद (कैबिनेट) ने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान कानून संशोधन विधेयक, 2020 को मंजूरी दे दी गई। इसके साथ ही अब 20 आईआईआईटी (पीपीपी) में तथा आईआईआईटीडीएम-कुरनूल (आईआईआईटी-सीएफटीआई) में एक पद सहित निदेशक के 21 पदों की पूर्व-प्रभाव से मंजूरी दे प्रदान की गई है। कैबिनेट ने अपने फैसले में कहा, “20 अलग-अलग आईआईआईटी- पीपीपी और आईआईआईटीडीएम-कुरनूल (आईआईआईटी-सीएफटीआई) में कुलसचिव के 21 पदों की पूर्व प्रभाव से मंजूरी भी मिल गई है।”

कैबिनेट के इस फैसले से शेष 5 आईआईआईटी-पीपीपी के साथ-साथ सार्वजनिक निजी भागीदारी वाले 15 मौजूदा भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों को डिग्रियां प्रदान करने की शक्तियों सहित राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में घोषित किया जा सकेगा। इससे वे किसी विश्वविद्यालय अथवा राष्ट्रीय महत्व के संस्थान की तरह प्रौद्योगिकी स्नातक (बी.टेक) अथवा प्रौद्योगिकी स्नातकोत्तर (एम.टेक) अथवा पीएचडी डिग्री के नामकरण का इस्तेमाल करने के लिए अधिकृत हो जाएंगे। इससे ये संस्थान सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश में एक सशक्त अनुसंधान सुविधा विकसित करने के लिए आवश्यक पर्याप्त छात्रों को आकर्षित करने में भी सक्षम हो जाएंगे।


वर्ष 2014 तथा 2017 के प्रमुख अधिनियमों में संशोधन के लिए भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान कानून संशोधन विधेयक, 2020 पेश किया गया था। इस संशोधन का उद्देश्य सूरत, भोपाल, भागलपुर, अगरतला और रायचूर में सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत 5 भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों को सांविधिक दर्जा प्रदान करना और उन्हें भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (सार्वजनिक निजी भागीदारी अधिनियम, 2017) के तहत मौजूदा 15 भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों के साथ-साथ राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के रूप में घोषित करना है।

इस मंजूरी का उद्देश्य है सूरत, भोपाल, भागलपुर, अगरतला तथा रायचूर के आईआईआईटी संस्थानों को औपचारिक बनाना। ये आईआईआईटी संस्थान, संस्था पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत संस्थाओं के रूप में काम कर रहे हैं। अब उन्हें सार्वजनिक निजी भागीदारी प्रारूप की योजना के तहत स्थापित अन्य 15 आईआईआईटी संस्थानों की तरह, आईआईआईटी (पीपीपी) अधिनियम, 2017 के तहत शामिल किया जाएगा।

इसके अलावा, आईआईआईटी अधिनियम, 2014 के अनुसार, आईआईआईटीडीएम-कूरनूल की स्थापना की गई है। यह आईआईआईटी इलाहाबाद, आईआईआईटीएम ग्वालियर, आईआईआईटीडीएम जबलपुर आईआईआईटीडीएम कांचीपुरम नामक अन्य चार आईआईआईटी संस्थानों के साथ काम कर रहा है। इन आईआईआईटी संस्थानों में निदेशक तथा कुलसचिव के पद पहले से अस्तित्व में हैं तथा मौजूदा प्रस्ताव उन्हें बिना किसी अतिरिक्त वित्तीय व्यय के केवल औपचारिक रूप प्रदान करता है।


कैबिनेट द्वारा 26 नवंबर, 2010 को दी गई मंजूरी के अनुसार, सार्वजनिक निजी भागीदारी प्रारूप में 20 नए आईआईआईटी संस्थानों (आईआईआईटी-पीपीपी) की स्थापना की योजना के तहत, आईआईआईटी (पीपीपी) अधिनियम, 2017 द्वारा 15 आईआईआईटी संस्थानों को शामिल किया गया है, जबकि 5 आईआईआईटी संस्थानों को अधिसूचना के तहत शामिल किया जाना शेष था।

कैबिनेट ने अपने फैसले में कहा, “भारत सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश की चुनौतियों के समाधान के लिए ज्ञान प्रदान करने के उद्देश्य से भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2014 तथा भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (सार्वजनिक निजी भागीदारी) अधिनियम, 2017 नामक दो अद्वितीय पहल की हैं।”

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर फ़ॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब भी कर सकते हैं.)