बिहार : हरियाली से राज्य के इस पंचायत को मिली राष्ट्रीय पहचान

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बिहार : हरियाली से राज्य के इस पंचायत को मिली राष्ट्रीय पहचान

समस्तीपुर | एक ओर जहां घटती हरियाली को बढ़ाने के लिए सरकार दिन रात प्रयत्नशील है, वहीं बिहार के समस्तीपुर जिले के विद्यापति नगर प्रखण्ड का हरपुर बोचहां पंचायत की हरियाली यहां पहुंचने वाले किसी की भी आंखों को सुकून देती है। राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके इस ग्राम पंचायत का शायद ही ऐसा कोई सार्वजनिक स्थल बचा हो, जहां लहलहाते पेड़ न हों।

करीब 11,500 की आबादी वाले इस ग्राम पंचायत को राष्ट्रीय स्तर पर ‘पंचायत सशक्तिकरण’ का पुरस्कार मिल चुका है। आज पंचायत के लोगों ने मुखिया प्रेमशंकर सिंह के नेतृत्व में न केवल मिसाल कायम की है, बल्कि वे अन्य लोगों के लिए प्रेरणस्रोत बने हुए हैं।


मुखिया सिंह आईएएनएस को बताते हैं, “साल 2001 में जब पहली बार मुखिया बना था, तब इस गांव, पंचायत में कहीं-कहीं पेड़ दिखाई देते थे, परंतु आज यहां एक लाख 17 हजार से ज्यादा पेड़ लहलहा रहे हैं। इस पंचायत को ‘राष्ट्रीय ग्रीन पंचायत’ के लिए प्रस्ताव भेजा गया है।”

साल 2001 से अब तक सिंह इस पंचायत के मुखिया या उपमुखिया रहे हैं। वर्ष 2011 में जब यह पंचायत मुखिया की सीट के लिए महिला के लिए आरक्षित हुआ तब सिंह ने अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारा, जिन्हें जनता ने अपना मुखिया चुन लिया।

हरपुर बोचहां पंचायत शुरू से ही बाढ़ और सुखाड़ से अभिशप्त रहा है। इस हालात में 65 सौ एकड़ जमीन में खेती करना इनके लिए एक चुनौती बन गई थी। इस जमीन में एक खास बात यह भी थी कि इसमें से 42 सौ एकड़ जमीन गांव के किसानों की पुश्तैनी जमीन थी।


प्रेमशंकर सिंह जब मुखिया बने तब उन्होंने इस जमीन को चुनौती के रूप में लिया और इस जमीन पर खेती करने की ठानी। इसके लिए उन्होंने इस जमीन को हरा-भरा बनाने और किसानों की आर्थिक हालात के लिए स्थायी तौर पर एक योजना तैयार की। सबसे पहले इस जमीन में सिंचाई की पानी पहुंचाने की चुनौती को लिया गया।

इस काम के लिए तीन बड़े पोखरों का निर्माण कराया गया। लगभग तीन हजार एकड़ की जमीन को पहली बार पानी से सींचा गया। इसके बाद नहर का निर्माण कराया गया, जिसकी लम्बाई तीन किलोमीटर के करीब थी। इस नहर के जरिए नदी का पानी खेतों तक आने लगा।

ग्रामसभा की दूरदर्शिता और स्थानीय लोग और किसानों की मेहनत ने अपना असर दिखाया। बेकार जमीन पर हरियाली छा गई। इसके बाद 10 एकड़ जमीन पर मछली पालन और मुर्गीपालन का काम शुरू किया गया।

सिंह ने कहा कि गांव के लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए योजनाएं बनाई गईं। उन्होंने दावा किया कि इस पंचायत की प्रति व्यक्ति आय जो पहले 552 रुपये थी, वह आज बढ़ कर 1664 रुपये तक हो गई है।

इस पंचायत का एक भी गांव ऐसा नहीं है, जहां तालाब और मन्दिर न हो। यहां लगे पेड़ों में अधिकतर फलदार हैं, जो पंचायत के लिए आर्थिक आय का बड़ा आधार भी है।

सिंह ने कहा कि वर्ष 2001 में इस पंचायत के जहां 46 प्रतिशत लोग शिक्षित थे, आज यह आंकड़ा तकरीबन 65 प्रतिशत से ज्यादा हो गया है।

विद्यापतिनगर के प्रभारी प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) गंगा सागर सिंह भी इस पंचायत के लोगों की तारीफ करने से नहीं चूकते। उन्होंने कहा कि “यह पंचायत इस बात का सबे बड़ा उदाहरण है कि सभी कार्य सरकार ही नहीं कर सकती। विकास के लिए लोगों को भी आगे आना होगा। आज यहां के लोगों ने यह साबित कर दिया है कि एकजुटता से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।”


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(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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