बिहार: कोरोना के बीच आया ‘बर्ड फ्लू’, मुर्गियों का कत्ल शुरू

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बिहार: कोरोना के बीच आया 'बर्ड फ्लू', मुर्गियों का कत्ल शुरू

पटना।  कोरोना की जंग के बीच बिहार में बर्ड फ्लू की दस्तक से लोग दहशत में हैं। इस बीच, पशुपालन निदेशालय के पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान की ओर से भेजे गए मरी मुर्गियों के नमूने में बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद अब संबंधिक क्षेत्र के एक किलोमीटर के दायरे में मुर्गियों को मारने का काम शुरू कर दिया गया है।

इसके अलावा दस किमी के दायरे में मुर्गियों व पॉल्ट्री फार्म को सेनेटाइज करने का निर्देश दिया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के पदाधिकारियों को पक्षियों की असामान्य मृत्यु पर नजर रखने और फ्लू के प्रभाव को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।


विभाग के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन और आदेश मिलने के बाद पशुपालन विभाग की टीम ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर मुर्गियों को मारने और दफनाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है।

अधिकारी ने बताया, “पटना के कंकड़बाग के अशोकनगर और नालंदा जिला के कतरीसराय इलाके के पॉल्ट्री फार्म में ऐसा किया जा रहा है। मुर्गियों को मारने और दफनाने के अलावा उनके संक्रमित दाना पानी को भी नष्ट किया जा रहा है।”

मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को बर्ड फ्लू एवं स्वाइन फीवर को लेकर पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के साथ उच्चस्तरीय बैठक की और कई निर्देश दिए।


उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में विभाग के सचिव एन. सरवन कुमार ने बर्ड फ्लू एवं स्वाइन फीवर के संबंध में बताया कि पटना, नालंदा एवं नवादा जिले में कौओं एवं कुछ अन्य पक्षियों के मरने की जानकारी मिली है, जिनमें बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है।

उन्होंने कहा, “इन तीन जिलों में पॉल्ट्री फार्म पर भी नजर रखी जा रही है और इसके लिए आवश्यक कार्रवाई भी की जा रही है। राज्य के विभिन्न जिलों से पक्षियों के अन्य सैंपल कलेक्ट किए गए हैं, जिन्हें जांच के लिए कोलकाता भेजा जा रहा है।”

उन्होंने कहा कि बर्ड फ्लू को देखते हुए पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों की टीम गठित कर इस पर त्वरित कार्रवाई की जा रही है। भागलपुर एवं रोहतास में स्वाइन फीवर की भी जानकारी मिली है। इस संदर्भ में भी आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।

पशु चिकित्सकों का कहना है कि मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण मार्च में यह बीमारी सबसे पहले कौवे में पाई गई। उसके बाद इन दोनों पर मुर्गियों के स्वाब में भी वायरस पाया गया। विशेषज्ञों का मानना है गर्मी बढ़ने पर इस तरह के वायरस वाली बीमारियों में अपने आप कमी आ जाएगी।


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(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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