बिहार की सत्ता में जदयू-भाजपा भले ही साझेदार हों, पर इस साझेदारी में ट्विस्ट हमेशा देखने को मिलता है। अक्सर दोनों ही दलों के नेता एक दूसरे पर निशाना साधते हुए दिख जाते हैं। नया मामला जदयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी है। दोनों ही नेताओं में ट्विटर पर जंग जारी है।
नागरिकता संसोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NRC) को लेकर पार्टी लाइन से अलग हटकर बयान देने वाले प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी पर हमला किया है।
प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर लिखा, “बिहार में नीतीश कुमार का नेतृत्व और JDU की सबसे बड़े दल की भूमिका बिहार की जनता ने तय किया है, किसी दूसरी पार्टी के नेता या शीर्ष नेतृत्व ने नहीं। 2015 में हार के बाद भी परिस्थितिवश उपमुख्यमंत्री बनने वाले सुशील मोदी से राजनीतिक मर्यादा और विचारधारा पर व्याख्यान सुनना सुखद अनुभव है।”
बिहार में @NitishKumar का नेतृत्व और JDU की सबसे बड़े दल की भूमिका बिहार की जनता ने तय किया है, किसी दूसरी पार्टी के नेता या शीर्ष नेतृत्व ने नहीं।
2015 में हार के बाद भी परिस्थितिवश DY CM बनने वाले @SushilModi से राजनीतिक मर्यादा और विचारधारा पर व्याख्यान सुनना सुखद अनुभव है।
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) December 31, 2019
गौरतलब है कि इससे पहले प्रशांत किशोर ने आगामी विधानसभा चुनाव में जदयू को भाजपा की तुलना में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की सलाह दी थी। प्रशांत किशोर के इस बयान पर सुशील मोदी ने पलटवार किया था।
सुशील मोदी ने ट्वीट में लिखा था, “2020 का विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाना तय है। सीटों के तालमेल का निर्णय दोनों दलों का शीर्ष नेतृत्व समय पर करेगा। कोई समस्या नहीं है।”
2020 का विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाना तय है। सीटों के तालमेल का निर्णय दोनों दलों का शीर्ष नेतृत्व समय पर करेगा। कोई समस्या नहीं है।
लेकिन जो लोग किसी विचारधारा के तहत नहीं, बल्कि चुनावी डाटा जुटाने और नारे……. pic.twitter.com/aCIUmFkFgL
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) December 30, 2019
सुशील मोदी ने अपने ट्वीट में आगे लिखा, “लेकिन जो लोग किसी विचारधारा के तहत नहीं, बल्कि चुनावी डाटा जुटाने और नारे गढ़ने वाली कंपनी चलाते हुए राजनीति में आ गए, वे गठबंधन धर्म के विरुद्ध बयानबाजी कर विरोधी गठबंधन को फायदा पहुंचाने में लगे हैं। एक लाभकारी धंधे में लगा व्यक्ति पहले अपनी सेवाओं के लिए बाजा तैयार करने में लगता है, देशहित की चिंता बाद में करता है।”