Bihar Polls 2020: पोस्टल बैलट में महागठबंधन चल रहा था आगे, क्या आरजेडी के इस वादे के चलते शिक्षकों ने किया था वोट?

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Bihar Polls 2020: पोस्टल बैलट में महागठबंधन चल रहा था आगे, क्या आरजेडी के इस वादे के चलते शिक्षकों ने किया था वोट?

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए आज यानी मंगलवार की सुबह जब मतगणना शुरू हुई तो सबसे पहले पोस्टल बैलेट को गिनना शुरू किया गया। इस वक्त तक महागठबंधन काफी आगे चल रहा था। 9 बजते बजते महागठबंधन ने रुझानों में 122 सीट के जादुई आंकड़े को भी छू लिया था। लेकिन जैसे ही ईवीएम वाले वोटों की गिनती शुरू की गई महागठबंधन पिछड़ गया और एनडीए ने बढ़त बना ली। एनडीए की ये बढ़त अभी भी बरकरार है।

आम तौर पर धारणा ये है कि पोस्टल बैलट एनडीए के पक्ष में जाता है लेकिन इस बार ठीक उसका उलट हुआ। अब चर्चा इस बात कि है कि क्या बिहार के शिक्षामित्रों ने समान काम-समान वेतन के तेजस्वी यादव के वादे को हाथोंहाथ लेकर उनके पक्ष में ही वोट डाला है?


अगर पोस्टल बैलट के मत के बारे में समझना है तो हमें 2015 में जाना होगा। 2015 के चुनाव में जब मतों की गिनती शुरू हुई तो बीजेपी के नेतृत्व वाला गठबंधन काफी आगे चल रहा था लेकिन ईवीएम खुलते ही आरजेडी-जेडीयू का महागठबंधन आगे निकल गया और नतीजे भी उनके पक्ष में ही रहे थे। उस वक्त लालू यादव ने कहा था कि, हम तो सिर्फ पोस्टल बैलट में पीछे थे और बीजेपी वालों ने मिठाई बांट दी।

बता दें कि, पोस्टल बैलट के जरिए चुनावी ड्यूटी में तैनात किए गए सरकारी कर्मी और 80 वर्ष से अधिक उम्र के लोग ही मतदान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि बिहार का सरकारी नौकरी करने वाला बीजेपी और जेडीयू को समर्थन करता है। इस बार पोस्टल बैलट के नतीजे कुछ अलग ही कहानी कह रहे हैं।

तेजस्वी यादव अपनी हर सभा में ये कहते थे कि हमारी सरकार बनी तो हम शिक्षामित्र को समान काम के लिए समान वेतन देने का काम करेंगे। इस बात को आरजेडी ने अपने घोषणा पत्र में भी शामिल किया था। इसके अलावा उन्होंने वृद्धा पेंशन को बढ़ाकर एक हजार रुपए करने की भी बात कही थी। ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञ का कहना है कि, 80 वर्ष से अधिक उम्र के मतदाता और शिक्षकों ने तेजस्वी के वादे पर भरोसा जताते हुए महागठबंधन के पक्ष में मतदान किया है।


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