सरकार ने बिहार कैडर के लगभग एक दर्जन सीनियर आईपीएस अफसरों के नाम संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को भेजा है। एक खबर के मुताबिक जल्द ही डीजीपी के पद पर नियुक्ति के लिए यूपीएससी द्वारा राज्य सरकार को इनमें से तीन नामों की अनुशंसा की जाएगी।
गुप्तेश्वर पांडेय के वीआरएस लेने के बाद एसके सिंघल को डीजीपी का प्रभार दिया गया है। बिहार के पूर्व DGP रविवार की शाम राज्य की सत्ताधारी पार्टी जनता दल यूनाइडेड (JDU) में शामिल हो गए। गुप्तेश्वर पांडे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर पार्टी में शामिल हुए. पांडे ने चुनावी पारी खेलने के लिए ही पिछले दिनो डीजीपी पद से इस्तीफा देते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृति ली थी।
सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार द्वारा भेजे गए पैनल में कुल 12 आईपीएस अफसरों के नाम हैं। इनमें 10 डीजी रैंक में प्रोन्नत हो चुके हैं। वहीं 2 नाम उन अधिकारियों के हैं, जिन्हें पद खाली नहीं होने की वजह से फिलहाल प्रोन्नति नहीं मिल सकी है।
बिहार कैडर में डीजी रैंक के अधिकारियों में राजेश रंजन, कुमार राजेश चंद्रा, शीलवर्धन सिंह, एएस राजन और मनमोहन सिंह केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। वहीं दिनेश सिंह बिष्ट, अरविंद पाण्डेय, एसके सिंघल, आलोक राज और आरएस भट्टी बिहार में पदस्थापित हैं। इनमें 1984 बैच के राजेश रंजन सबसे वरिष्ठ हैं जो कि 30 नवम्बर को रिटायर हो रहे हैं।
इनको छोड़कर बाकी के सभी डीजी रैंक के अफसरों का कार्यकाल 6 महीने से अधिक समय का है। ऐसे में बताया जाता है कि 1990 बैच के एडीजी रैंक के अधिकारी नीरज सिन्हा (केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर) और शोभा अहोटकर के नाम भी पैनल में शामिल हैं। जनवरी 2020 से इनकी प्रोन्नति लंबित है।
आपको बता दें कि डीजीपी के पद पर नियुक्ति के लिए राज्य सरकार खुद से अंतिम निर्णय नहीं ले सकती। यूपीएससी को भेजे गए पैनल में से जो तीन नाम वापस राज्य सरकार को भेजे जाएंगे, उन्हीं में से किसी एक अफसर की इस पद पर नियुक्ति की जाएगी। जबकि पहले डीजीपी की नियुक्ति पूरी तरह से राज्य सरकार के अधीन थी।