भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO – Indian Space Research Organisation) आज इतिहास रचने की दहलीज पर खड़ा है। इसरो का चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर कदम रखने जा रहा है। यह एक सॉफ्ट लैंडिंग होगी। मतलब चंद्रयान 2 को आहिस्ते-आहिस्ते चांद की सतह पर उतारा जाएगा ताकि यह पूरी तरह सुरक्षित हो। इसकी जिम्मेदारी चंद्रयान 2 के लैंडर की है जिसका नाम ‘विक्रम’ रखा गया है। जबकि इसरो ने रोवर का नाम ‘प्रज्ञान’ रखा है। इसरो ने लैंडर और रोवर के ये नाम काफी सोच-समझ कर रखे हैं। हम आपको वही बता रहे हैं।
‘विक्रम’ लैंडर
चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) के लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम (Indian Space Programme) के जनक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। ‘विक्रम’ लैंडर का द्रव्यमान 1,471 किलोग्राम है। यह 650 वॉट बिजली पैदा कर सकता है। इसे चंद्रमा पर एक दिन तक काम करने के लिहाज से तैयार किया गया है। ज्ञात हो कि चंद्रमा का एक दिन (One Lunar Day) पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है।
Watch this video to find out more about Vikram — Chandrayaan 2’s Lander — and the different stages of its journey to the Moon’s south polar region! https://t.co/2qBLe0T710#ISRO #Moonmission #Chandrayaan2
— ISRO (@isro) September 5, 2019
विक्रम लैंडर में बेंगलुरू के पास स्थित इसरो के IDSN सेंटर से संपर्क करने की क्षमता है। इसके अलावा यह प्रज्ञान रोवर और ऑर्बिटर से भी संपर्क साध सकता है। इसरो ने विक्रम लैंडर से संबंधित एक वीडियो भी जारी किया है।
चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) का रोवर ‘प्रज्ञान’
चंद्रयान 2 के रोवर ‘प्रज्ञान’ का नाम किसी व्यक्ति या शख्सियत के नाम पर नहीं रखा गया है। बल्कि, इसरो ने संस्कृत भाषा से ये नाम लिया है। इसरो ने बताया है कि प्रज्ञान का अर्थ होता है ‘बुद्धिमत्ता’ (wisdom)। प्रज्ञान रोवर को चंद्रमा की सतह पर अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देना है। वहां कई चीजों का पता लगाना है। इसलिए काम के अनुरूप नाम दिया गया है।
बता दें, चंद्रयान 2 के प्रज्ञान रोवर में 6 रोबोटिक पहिये हैं। यह करीब 500 मीटर दूरी तक सफर कर सकता है। काम करने के लिए प्रज्ञान सोलर ऊर्जा का प्रयोग करेगा। यह सिर्फ अपने लैंडर विक्रम से संपर्क स्थापित कर सकता है।