Dev Uthani Ekadashi 2020: देवोत्थान यानी देवउठनी एकादशी का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। देवउठनी एकादशी को हरिप्रबोधिनी एकादशी व देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता हैं। इस दिन उपवास रखने का विशेष महत्व माना गया है। तुलसी विवाह भी इस दिन आयोजित किया जाता है।
तुलसी विवाह का इस एकादशी पर सबसे ज्यादा महत्व होता है। देवउठनी एकादशी को छोटी दिवाली के रूप मे मनाया जाता है। अपने घरों में इस दिन लोग दीपक भी जलाते हैं। इस साल बोधनी एकादशी 25 एवं तुलसी विवाह 26 नवंबर को पड़ रहा है।
विधि विधान के साथ देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का पूजन किया जाता है। आंगन के बीचो-बीच तुलसी का पौधा एक चौकी पर रखा जाता है। तुलसी जी को महंदी, मौली धागा, फूल, चंदन, सिंदूर, सुहाग के सामान की चीजें, चावल, मिठाई,पूजन सामग्री के रूप में रखी जाती है।
शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार महीने के लिए सो जाते हैं और एक ही बार कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ये चार महीनो के लिए सो जाते हैं और इस दौरान सभी मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। जब भगवान विष्णु जागते हैं तभी कोई मांगलिक कार्य शुरू किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के उठने के कारण ही देव जागरण या उत्थान होने के कारण ही इसे देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं।
Dev Uthani Ekadashi 2020: पूजा विधि
पूजा स्थल में देवउठनी एकादशी पर गन्नों से मंडप सजाया जाता है। उसके नीचे भगवान विष्णु की प्रतिमा विराजमान कर मंत्रों से भगवान विष्णु को जगाने के लिए पूजा की जाती है। इस पूजा में मूली, शकरकंद, सिंघाड़ा, आंवला, बेर, मूली, सीताफल, अमरुद और अन्य ऋतु फल चढाएं जाते हैं।